रिपोर्ट – हिमांशु शुक्ल (लखनऊ)
अमेरिका हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी ने चार साल बाद सत्ता में वापसी की है। डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस को हराकर अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने का खिताब हासिल किया है, वहीं उनके उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने भी उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालने की तैयारी कर ली है। जेडी वेंस का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का अद्वितीय उदाहरण है, जिसे अमेरिका के लाखों लोग देख रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन: एक कठिन और संघर्षपूर्ण बचपन
जेडी वेंस का जन्म अगस्त 1984 में मिडलटाउन, ओहियो में हुआ था। वेंस का बचपन काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनकी मां बेवर्ली वेब ऐकिंस ने पांच बार शादियां कीं, और इस दौरान जेडी का नाम चार बार बदला गया। जेडी के पिता डोनाल्ड वोमेन से उनकी मां की दूसरी शादी थी, परंतु जब वे मात्र छह वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद उनके जीवन में कई बदलाव आए और नए रिश्तों के कारण उनका नाम बार-बार बदलता गया।
मां की नशे की लत और नाना-नानी का सहारा
बचपन में ही जेडी वेंस ने अपनी मां के संघर्षों का सामना किया। उनकी मां, जो एक नर्स थीं, अपने काम के कारण नशीली दवाओं की लत में पड़ गईं। इस लत ने जेडी के जीवन को भी गहरे से प्रभावित किया। जब उनकी मां की हालत गंभीर हो गई, तो उनके नाना-नानी, जेम्स और बोनी वेंस ने उनका पालन-पोषण किया। अपने संस्मरण ‘हिलबिली एलेजी’ में जेडी ने इस कठिन दौर का विवरण दिया है और बताया है कि कैसे उनके नाना-नानी ने उन्हें एक नया जीवन देने का प्रयास किया।
करियर की शुरुआत और सेना में सेवा
मिडलटाउन हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद, जेडी वेंस अमेरिकी मरीन कॉर्प्स में भर्ती हुए और इराक में एक कॉर्पोरल के रूप में सेवा दी। मरीन कॉर्प्स में बिताए वर्षों ने उनके जीवन को अनुशासन और जिम्मेदारी से जोड़ा। इसके बाद जेडी ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान और दर्शनशास्त्र में स्नातक किया और फिर येल लॉ स्कूल में दाखिला लिया।
येल लॉ स्कूल में उषा चिलुकुरी से मुलाकात और जीवन में स्थायित्व
येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान, जेडी वेंस की मुलाकात भारतीय मूल की उषा चिलुकुरी से हुई। उषा एक होनहार छात्रा थीं और येल लॉ जर्नल की कार्यकारी संपादक थीं। उषा और जेडी ने 2014 में विवाह किया। उषा अब अमेरिकी अदालतों में एक प्रमुख वकील हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में काम कर चुकी हैं। उनकी भारतीय पृष्ठभूमि के कारण जेडी का भारत से एक विशेष संबंध बन गया है।
राजनीति में कदम और उपराष्ट्रपति का पद
जेडी वेंस ने 2022 में अमेरिकी सीनेट के चुनाव में जीत हासिल की और ओहियो राज्य का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने वहां अपने कठिन जीवन अनुभवों और संघर्षों को साझा किया, जिससे लोग उन्हें अपने बीच का व्यक्ति मानने लगे। इस बार के आम चुनाव में वे डोनाल्ड ट्रंप के साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने और विजय प्राप्त की।
जेडी वेंस का जीवन: प्रेरणा का स्रोत
जेडी वेंस की कहानी न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों का वर्णन करती है, बल्कि उनके साहस और हौसले की मिसाल भी है। चार बार नाम बदलने, मां की नशे की लत, गरीबी और अस्थिरता के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा दी और सफलता प्राप्त की। अब वे अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में अपने देश की सेवा करने जा रहे हैं।
सम्पर्क: जेडी वेंस का जीवन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं। उनके जीवन की कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर दृढ़ निश्चय हो तो हर चुनौती पर विजय पाई जा सकती है।
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस: चार बार नाम बदलने वाले सीनेटर की संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा
अमेरिका में हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी ने चार साल बाद सत्ता में वापसी की है। डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस को हराकर अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने का खिताब हासिल किया है, वहीं उनके उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस ने भी उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालने की तैयारी कर ली है। जेडी वेंस का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का अद्वितीय उदाहरण है, जिसे अमेरिका के लाखों लोग देख रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन: एक कठिन और संघर्षपूर्ण बचपन
जेडी वेंस का जन्म अगस्त 1984 में मिडलटाउन, ओहियो में हुआ था। वेंस का बचपन काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। उनकी मां बेवर्ली वेब ऐकिंस ने पांच बार शादियां कीं, और इस दौरान जेडी का नाम चार बार बदला गया। जेडी के पिता डोनाल्ड वोमेन से उनकी मां की दूसरी शादी थी, परंतु जब वे मात्र छह वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद उनके जीवन में कई बदलाव आए और नए रिश्तों के कारण उनका नाम बार-बार बदलता गया।
मां की नशे की लत और नाना-नानी का सहारा
बचपन में ही जेडी वेंस ने अपनी मां के संघर्षों का सामना किया। उनकी मां, जो एक नर्स थीं, अपने काम के कारण नशीली दवाओं की लत में पड़ गईं। इस लत ने जेडी के जीवन को भी गहरे से प्रभावित किया। जब उनकी मां की हालत गंभीर हो गई, तो उनके नाना-नानी, जेम्स और बोनी वेंस ने उनका पालन-पोषण किया। अपने संस्मरण ‘हिलबिली एलेजी’ में जेडी ने इस कठिन दौर का विवरण दिया है और बताया है कि कैसे उनके नाना-नानी ने उन्हें एक नया जीवन देने का प्रयास किया।
करियर की शुरुआत और सेना में सेवा
मिडलटाउन हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद, जेडी वेंस अमेरिकी मरीन कॉर्प्स में भर्ती हुए और इराक में एक कॉर्पोरल के रूप में सेवा दी। मरीन कॉर्प्स में बिताए वर्षों ने उनके जीवन को अनुशासन और जिम्मेदारी से जोड़ा। इसके बाद जेडी ने ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान और दर्शनशास्त्र में स्नातक किया और फिर येल लॉ स्कूल में दाखिला लिया।
येल लॉ स्कूल में उषा चिलुकुरी से मुलाकात और जीवन में स्थायित्व
येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान, जेडी वेंस की मुलाकात भारतीय मूल की उषा चिलुकुरी से हुई। उषा एक होनहार छात्रा थीं और येल लॉ जर्नल की कार्यकारी संपादक थीं। उषा और जेडी ने 2014 में विवाह किया। उषा अब अमेरिकी अदालतों में एक प्रमुख वकील हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में काम कर चुकी हैं। उनकी भारतीय पृष्ठभूमि के कारण जेडी का भारत से एक विशेष संबंध बन गया है।
राजनीति में कदम और उपराष्ट्रपति का पद
जेडी वेंस ने 2022 में अमेरिकी सीनेट के चुनाव में जीत हासिल की और ओहियो राज्य का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने वहां अपने कठिन जीवन अनुभवों और संघर्षों को साझा किया, जिससे लोग उन्हें अपने बीच का व्यक्ति मानने लगे। इस बार के आम चुनाव में वे डोनाल्ड ट्रंप के साथ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने और विजय प्राप्त की।
जेडी वेंस का जीवन: प्रेरणा का स्रोत
जेडी वेंस की कहानी न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों का वर्णन करती है, बल्कि उनके साहस और हौसले की मिसाल भी है। चार बार नाम बदलने, मां की नशे की लत, गरीबी और अस्थिरता के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा दी और सफलता प्राप्त की। अब वे अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में अपने देश की सेवा करने जा रहे हैं।
सम्पर्क: जेडी वेंस का जीवन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं। उनके जीवन की कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर दृढ़ निश्चय हो तो हर चुनौती पर विजय पाई जा सकती है