भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में कई अहम बातें सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यह सेक्टर ग्लोबल स्तर पर लगातार पिछड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह इनोवेशन की भारी कमी है। आयोग का मानना है कि रिसर्च और डेवलपमेंट यानी R&D में निवेश बहुत कम है। इसी कारण भारत उभरती तकनीकों में भाग नहीं ले पा रहा है।
आज के दौर में जहां दुनिया इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ऑटोनॉमस ड्राइविंग और स्मार्ट मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है, वहीं भारत अब भी पीछे रह गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय कंपनियां कम लागत वाली गाड़ियां बनाने में तो अच्छी हैं, लेकिन इनोवेशन की कमी के कारण वे एडवांस तकनीकों वाले प्रोडक्ट नहीं बना पातीं।
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इसके अलावा, इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग की भी भारी कमी है। इस वजह से नए आइडिया और टेक्नोलॉजी ब्रेकथ्रूज की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। भारत के कई स्टार्टअप्स और यूनिवर्सिटीज में अच्छे आइडिया तो होते हैं, लेकिन उन्हें इंडस्ट्री से सपोर्ट नहीं मिलता।
रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत की कंपनियां विदेशी तकनीक पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है। साथ ही, आत्मनिर्भर भारत का सपना भी अधूरा रह जाता है।
बैटरी टेक्नोलॉजी, ADAS और AI आधारित मैन्युफैक्चरिंग जैसे जरूरी क्षेत्रों में भी भारत पीछे है। यदि यह स्थिति जारी रही, तो भारत की ऑटोमोबाइल सेक्टर इनोवेशन की कमी के कारण और पिछड़ सकता है।
इसलिए, नीति आयोग ने सिफारिश की है कि भारत को R&D पर खर्च को तेजी से बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही, इंडस्ट्री और शिक्षा जगत को मिलकर काम करना होगा। एक मजबूत इनोवेशन इकोसिस्टम बनाना बेहद जरूरी है, ताकि भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर इनोवेशन के ज़रिये ग्लोबल मार्केट में टिका रह सके।
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