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धनतेरस पर खुलेगा मां अन्नपूर्णा का खजाना

धनतेरस पर खुलेगा मां अन्नपूर्णा का खजाना: वाराणसी में भक्तों पर बरसेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

“वाराणसी में मां अन्नपूर्णा का खजाना धनतेरस पर खुलेगा। भक्तों को मिलेगा प्रसाद स्वरूप सिक्का, जिससे बरसेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद। जानें मंदिर का धार्मिक महत्व।”

वाराणसी। वाराणसी स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के खजाने का द्वार खुलने का समय नजदीक आ रहा है। हर साल सिर्फ चार से पांच दिनों के लिए भक्तों को इस खजाने के दर्शन और विशेष प्रसाद का लाभ मिलता है, जो उनके जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इस वर्ष 29 अक्टूबर धनतेरस के दिन मंदिर का खजाना खुलेगा, और इसके साथ ही मां अन्नपूर्णा भक्तों पर अपनी कृपा बरसाएंगी।

मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद: भक्तों के लिए विशेष प्रसाद

धनतेरस से लेकर भाई दूज तक खुलने वाले इस मंदिर में भक्तों को विशेष प्रसाद के रूप में सिक्के और लावा दिए जाते हैं। मान्यता है कि इसे घर में रखने से कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती। लोग इस प्रसाद को अपनी तिजोरी में रखने की परंपरा निभाते हैं, ताकि मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ बना रहे। मंदिर प्रशासन की तरफ से की गई इस व्यवस्था के तहत भक्तों की लंबी कतारें दर्शन और प्रसाद लेने के लिए जुटती हैं।

मंदिर के विशेष दर्शन और पूजन की प्रक्रिया

मंदिर के महंत शंकर पुरी ने जानकारी दी कि इस बार धनतेरस पर शुभ योग बन रहा है। पूजा की शुरुआत सुबह 3 बजे से होगी, और 5 बजे मंदिर के द्वार आम भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। पांच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्त स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे। इन दिनों में भक्तों का तांता लगा रहेगा, जिससे वाराणसी की गलियां भी भक्तिमय हो उठेंगी।

मां अन्नपूर्णा मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता

मां अन्नपूर्णा के मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता है कि जब भगवान शिव काशी में पधारे, तो उन्होंने भिक्षा मांगकर माता अन्नपूर्णा से काशीवासियों के अन्न की व्यवस्था का आशीर्वाद मांगा था। तब मां अन्नपूर्णा ने शिवजी को यह आशीर्वाद दिया कि काशी में कभी कोई भूखा नहीं रहेगा। इसी परंपरा के आधार पर मंदिर के खजाने का द्वार साल में एक बार खोलकर भक्तों को विशेष प्रसाद देने का आयोजन किया जाता है।

खजाने के दर्शन का विशेष मार्ग

मंदिर तक भक्तों की सुविधा के लिए विशेष मार्ग बनाया गया है। भक्त बांसफाटक से प्रवेश करेंगे और अस्थायी सीढ़ियों के जरिए स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन करेंगे। यहां से निकलने के लिए कालिका गली का मार्ग निर्धारित किया गया है। मंदिर प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह कैमरे और सेवादार तैनात किए हैं ताकि सभी भक्त आसानी से दर्शन कर सकें।

अन्नकूट महोत्सव और मंदिर के कपाट बंद होने का समय

धनतेरस के बाद 2 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा, जिसमें लड्डुओं की झांकी सजाई जाएगी और रात 11:30 बजे माता की महाआरती होगी। इसके पश्चात एक साल के लिए स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का खजाना भक्तों के दर्शन के लिए बंद कर दिया जाएगा।

मां अन्नपूर्णा मंदिर का धार्मिक महत्व

मां अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट करने के लिए आते हैं। इस मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद सभी भक्तों को धन-धान्य और समृद्धि का वरदान देता है। यही कारण है कि भक्तगण मंदिर के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, ताकि मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

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