Saturday , February 22 2025

राजनीति

आपातकाल को लेकर अमित शाह ने बाेला हमला, 21 महीनों तक कष्ट-यातनाओं के दौर से गुजरा देश

देश में आपातकाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने अपने ट्विटर पर अप्रत्‍यक्ष तौर पर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्‍होंने कहा है कि आपातकाल के दिन असंख्य लोगों को बिना वजह कालकोठरी में डाल दिया गया था। शाह ने उन दिनों को याद करते हुए साझा किया है कि देश की जनता ने 21 महीनों तक अनेकों कष्ट और यातनाएं सही। शाह ने अपने ट्विटर पर कहा है कि ऐसे आपातकाल में लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले सभी देशवासियों को कोटि-कोटि वंदन। उन्होंने आगे लिखा है कि '1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा मात्र सत्ता में बने रहने के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश के लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी। देश की संसद को निष्क्रय बना कर उच्चतम न्यायालय को मूकदर्शक की हैसियत में तब्दील कर दिया गया। अखबारों की जुबान पर ताले जड़ दिए गए थे।' आपातकाल के विरोध में देशभर में काला दिवस मनाएगी BJP, कांग्रेस को घेरने की तैयारी यह भी पढ़ें 26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा बता दें कि 26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। तत्‍कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन ने इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल की घोषणा रेडियो पर पहले कर दी गई तथा बाद में सुबह मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए गए। 25 जून को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सुबह-सुबह इस अध्‍यादेश को कैबिनेट से पास करके राष्ट्रपति के पास भेजा था। अमित शाह बोले, 'कांग्रेस मुक्त भारत' से मेरा आशय कांग्रेस पार्टी को खत्‍म करना नहीं...! यह भी पढ़ें जेल में विपक्षियों का जमावड़ा आपातकाल के दौरान देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। करीब-करीब विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिए गए। विपक्ष के कद्दावर नेता जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई को हिरासत में लिया जा चुका था। लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया। लालू-नीतीश और सुशील मोदी जैसे बिहार के दिग्‍गज नेताओं को भी गिरफ्तार जेल भेज दिया गया। जेलों में जगह नहीं बची थी। ‘गोला-बारूद’ लेकर सोशल मीडिया पर लड़ाई के लिए तैयार रहें: शाह यह भी पढ़ें आपातकाल क्‍यों 1- 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगाया। आपातकाल ने लोकतंत्र को संवैधानिक तानाशाही में बदल दिया था : जेटली यह भी पढ़ें 2- कोर्ट ने राज नारायण की याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया। इंदिरा पर वोटरों को घूस देना, सरकारी मशनरी का गलत इस्तेमाल जैसे 14 आरोप लगे थे। राज नारायण ने 1971 में रायबरेली में इंदिरा गांधी के हाथों हारने के बाद मामला दाखिल कराया था। 3- श्रीमती गांधी ने इस्तीफा देने से इन्‍कार करते हुए फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस कृष्ण अय्यर ने भी इस आदेश बरकरार रखा, लेकिन इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी। 4- 25 जून 1975 को जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के इस्तीफा देने तक देश भर में रोज प्रदर्शन करने का आह्वाहन किया। 25 जून 1975 को राष्ट्रपति के अध्यादेश पास करने के बाद सरकार ने आपातकाल लागू कर दिया।

देश में आपातकाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने अपने ट्विटर पर अप्रत्‍यक्ष तौर पर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्‍होंने कहा है कि आपातकाल के दिन असंख्य लोगों को बिना वजह कालकोठरी में डाल दिया गया था। शाह ने उन दिनों को याद करते …

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BJP नेता ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- पत्थरबाजों पर लगे केस हटाने के फैसले को रद किया जाए

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को पत्र लिखकर पत्थरबाजों पर लगे केस हटाने के फैसले को रद करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सेना पत्थरबाजों का शिकार हुई है। ऐसे में उनपर लगे केस वापस लेने के फैसले को रद किया जाए। पत्र में क्या लिखा पत्र में अजय अग्रवाल ने कहा है कि मीडिया में छपी विभिन्न खबरों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बयान से पता चलता है कि सरकार ने हिंसा में लिप्त तत्वों और पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज कई मामलों को वापस लिया है। पत्थरबाजी के मामले में सीआरपीएफ, पुलिस, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियां पीड़ित पक्ष हैं। पत्थरबाजों के खिलाफ मामलों को पीड़ित पक्ष को विश्वास में लिए बगैर वापस लिया गया है। PDP को खुश करते-करते अपना सियासी मैदान गंवा रही थी BJP, ऐसे टूट गया गठबंधन यह भी पढ़ें बता दें कि राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि भाजपा के साथ गठबंधन में हमने अपना एजेंडा पूरा किया है। इस दौरान उन्होंने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि हमारी सरकार ने राज्य के 11,000 युवाओं पर दर्ज मुकदमे वापस कराए। जिसके बाद भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने राज्यपाल को पत्र लिखकर पत्थरबाजों से मुकदमे हटाए जाने का फैसला खारिज करने की अपील की है।

भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को पत्र लिखकर पत्थरबाजों पर लगे केस हटाने के फैसले को रद करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सेना पत्थरबाजों का शिकार हुई है। ऐसे में उनपर लगे केस वापस …

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झारखंड में सत्ता पक्ष व विपक्ष में बढ़ी तल्खी, बयानों के तीखे तीर चले

राज्य ब्यूरो, रांची। भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर शुरू हुई सत्ता पक्ष और विपक्ष की तकरार ने झारखंड के राजनीतिक माहौल को बेहद गर्म कर दिया है। सत्ताधारी दल भाजपा के बाद अब खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास मैदान में उतर आए हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन के परिवार पर सीधा हमला कर दिया है। जवाब में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कमर कस कर मैदान में उतर आए हैं। ऐसा लग रहा है कि राज्य चुनावी माहौल की ओर बढ़ रहा है। बेहद संवेदनशील भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल की लड़ाई की आड़ में सीएनटी-एसपीटी संशोधन मामला भी गर्मा गया है। उस प्रकरण में राजनीतिक दबाव में कदम पीछे खींचने वाली भाजपा ने अब सार्वजनिक मंच के साथ-साथ ट्विटर पर भी झामुमो को कठघरे में खड़ा किया है। मुख्यमंत्री ने कांके में एक कार्यक्रम में सीधे-सीधे सोरेन परिवार पर इस एक्ट के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उनके समर्थन में उतरी भाजपा ने भी सोरेन परिवार पर करारा हमला किया है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के मुद्दे पर शुरू हुई यह लड़ाई अब व्यक्तिगत हमले में तब्दील हो गई है। झारखंड को भी झामुमो मुक्त कर देंगेः रघुवर यह भी पढ़ें सीएम रघुवर दास का ट्वीट मैं 1995 से विधायक हूं। मैं खुली चुनौती देता हूं कि विपक्ष बताए कि मैंने कहां सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन किया है। मुझ पर आरोप लगाने वाले सोरेन परिवार ने खुद संताल परगना, बोकारो, धनबाद में सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर जमीन खरीदी है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरने का जवाबी ट्वीट झूठी चुनौती और बड़ी-बड़ी डींगें हांकने की अपनी आदत से बाज आएं मुख्यमंत्री जी। अभी चार माह पहले भी विकास पर बहस की चुनौती दी थी-जो खोखली साबित हुई। और किसने आपको मेरे खिलाफ जांच करने से रोका है। राज्य आपका, केंद्र आपका। अब क्या चांद पर सरकार बनाने का इंतजार है आपको। झारखंड भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ एकजुट हुआ विपक्ष यह भी पढ़ें भाजपा का सीधा हमला, पूछे हेमंत से सवाल आपकी तिलमिलाहट समझ में आती है। भाषण मत दीजिए, सीधे हां या न में जवाब दीजिए। 1- आपने और आपके परिवार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर गरीब आदिवासियों की जमीन खरीदी या नहीं? 2- आप रामगढ़ के रहने वाले हैं तो आपने रांची, दुमका और बोकारो में जमीन कैसे खरीदी? 3- रांची के सोहराय भवन की जमीन खरीदकर क्या आपके परिवार ने सीएनटी एक्ट का उल्लंघन नहीं किया? 4- गरीब आदिवासी राजू उरांव की जमीन को आपके परिवार ने किस कानून के तहत खरीदा? झारखंड की जनता को अभी सिर्फ इतने ही सवालों का जवाब दीजिए। (भाजपा का ट्वीट )

राज्य ब्यूरो, रांची। भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर शुरू हुई सत्ता पक्ष और विपक्ष की तकरार ने झारखंड के राजनीतिक माहौल को बेहद गर्म कर दिया है। सत्ताधारी दल भाजपा के बाद अब खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास मैदान में उतर आए हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन …

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PDP से नाता तोड़ने के बाद 23 जून को शाह का पहला जम्मू दौरा, प्रदेश भाजपा को देगा मजबूती

विपरीत विचारधारा वाली पीडीपी के साथ तीन साल तक सत्ता में रहने के बाद सरकार को छोड़ने वाली प्रदेश भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जम्मू दौरा मजबूती देगा। देश की एकता व अखंडता के लिए कुर्बानी देने वाले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर 23 जून को जम्मू आ रहे शाह संसदीय चुनाव की तैयारियों को तेजी देंगे। प्रदेश भाजपा राज्य में अब नई भूमिका में लोगों के बीच जाने को तैयार है, इस मुहिम की शुरुआत अमित शाह के जम्मू दौरे से होगी। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता शाह के दौरे को कामयाब बनाने में व्यस्त हो गए हैं। ऐसे में बुधवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पूरे दिन बैठकों का सिलसिला जारी रहा। शाह की रैली के माध्यम से भाजपा हाईकमान द्वारा जम्मू-कश्मीर में सरकार को छोड़ने के कारणों के बारे में बताया जाएगा। इस दौरान जम्मू वासियों को भी संदेश दिया जाएगा कि वे पार्टी के लिए सत्ता से अधिक अहमियत रखते हैं। प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने बताया कि शाह जम्मू में भाजपा चुनाव प्रचार समिति की बैठक में संसदीय चुनाव को लेकर अपनाए जाने वाली रणनीति तय करेंगे। इसके साथ ही वह शाम चार बजे जम्मू में ब्राह्माण सभा के बाहर एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। EXCLUSIVE: कड़े फैसले लेने के मामले में भाजपा ने फिर चौंकाया, किसी को नहीं थी 'सुपर प्लान' की जानकारी यह भी पढ़ें आतंकवाद विरोधी मुहिम में बाधाएं दूर करने को गिराई सरकार : रैना प्रदेश भाजपा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को आतंकवाद व अलगाववाद के प्रति नरम नीति पर घेरते हुए कहा है कि कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने में राजनीतिक मजबूरियां आड़े आ रही थीं। ऐसे हालात में देशहित को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस लेकर सुनिश्चित किया कि राज्यपाल शासन में न सिर्फ कानून एवं व्यवस्था कायम हो, बल्कि राज्य प्रशासन भी एकाग्रता से कार्य करे। बुधवार को जम्मू में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि पिछले तीन-चार महीनों से राज्य में कानून-व्यवस्था लगातार बिगड़ रही थी। अब सेना द्वारा देश के लिए खतरा बनने वालों को चुन-चुनकर मारा जाएगा। रैना ने कहा कि तीन वर्षों में राज्य में सेना ने बहुत काम किया, उन्हें फ्री हैंड दिया गया था। यही कारण था कि इस अरसे में 619 आतंकवादी मारे गए।

विपरीत विचारधारा वाली पीडीपी के साथ तीन साल तक सत्ता में रहने के बाद सरकार को छोड़ने वाली प्रदेश भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का जम्मू दौरा मजबूती देगा। देश की एकता व अखंडता के लिए कुर्बानी देने वाले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर …

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झारखंड में विपक्षी एकता पर पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की टेढ़ी चाल

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपानीत गठबंधन सरकार के खिलाफ तैयार हो रहा संयुक्त विपक्षी मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ सकता है। फिलहाल, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की लामबंदी में एकजुटता तो नजर आ रही है, लेकिन विपक्षी धड़े के महत्वपूर्ण नेता बाबूलाल मरांडी आपाधापी में नजर नहीं आते। मरांडी अपनी गति से राजनीतिक गठबंधन की गाड़ी पर सवार होना चाहते हैं। यही वजह है कि सोमवार को नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के आवास पर हुई विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक से उन्होंने दूरी बनाए रखी। अलबत्ता बैठक में दूसरी कतार के नेता शामिल हुए लेकिन बाबूलाल मरांडी की अनुपस्थिति को लेकर कयास का दौर तेज हुआ। फौरी तौर पर बताया गया कि संताल परगना के दौरे पर रहने की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं हुए। भाजपा को इसपर चुटकी लेने का मौका मिल गया है। बकौल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव, बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। वे अस्तित्व तलाश रहे हैं। उनकी राजनीतिक लाइन-लेंथ पूरी तरह कंफ्यूज्ड है। दरअसल बाबूलाल मरांडी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर ज्यादा सतर्क हैं। विपक्षी गठबंधन की पहल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मिलकर की है। दोनों दल विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर भी मन बना चुके हैं। झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका यह भी पढ़ें इस बंटवारे में झाविमो के हिस्से में काफी कम सीटें आ रही हैं जिससे झारखंड विकास मोर्चा सतर्क है। अंदरूनी तौर पर इसे लेकर खींचतान भी है जो भविष्य में खुलकर सामने आ सकता है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि चुनाव परिणाम के तत्काल बाद छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उसमें से दो विधायकों को भाजपानीत गठबंधन सरकार में मंत्री की कुर्सी मिली। जबकि दो को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। आक्रामक हुई भाजपा, विपक्षी गठबंधन को बताया अनैतिक विपक्षी दलों के संयुक्त आंदोलन की घोषणा के बाद भाजपा ने भी अपने तेवर आक्रामक कर लिए हैं। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन के खिलाफ आदोलन फ्लॉप होने के डर से विपक्ष ने शहीदों के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है और सिदो-कान्हू के हूल दिवस को भी आदोलन का हिस्सा बना दिया है। इससे झारखंडी जनभावना आहत हुई है। इसके लिए विपक्ष जनता से माफी मागे और इस घोषणा को वापस ले। एक झूठे आदोलन के लिए शहीदों के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग शर्मनाक है। विपक्ष धरना दे, जुलूस निकाले। उसपर आपत्ति नहीं है। लेकिन विपक्ष द्वारा शहीदों के नाम का राजनीतिक इस्तेमाल ठीक नहीं है। अधिक दिनों तक नहीं चलेगी विपक्ष की एकता: पासवान यह भी पढ़ें झामुमो आदिवासियों को बनाकर रखना चाहती है सिर्फ वोट बैंक: प्रतुल भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों और मूलवासियों को सिर्फ वोट बैंक बनाकर रखना चाहती है। वह नहीं चाहती कि इनका विकास हो। उन्हें बरगलाने के लिए झामुमो के नेता हेमंत सोरेन झूठ बोल रहे हैं। झामुमो कहता है कि निजी उपयोग और उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण होगा जबकि सच्चाई यह है कि सरकारी योजनाओं जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पुल, बिजली सब स्टेशन आदि के लिए जरुरत पड़ने पर जमीन का अधिग्रहण होगा। ग्राम सभा या स्थानीय प्राधिकार के परामर्श के बगैर अधिग्रहण नहीं हो सकेगा। निजी उद्योगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। उनके लिए सामाजिक प्रभाव आकलन का प्रावधान है। जमीन के मालिक को बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा आठ माह के भीतर मिलेगा। संशोधन से राज्य में पांच नए विश्वविद्यालय, 61 डिग्री कॉलेज, 20 पॉलिटेक्निक, सात इंजीनियरिंग और प्रोफेशनल कॉलेज, एक स्किल यूनिवर्सिटी समेत 100 शिक्षण संस्थानों का तेजी से निर्माण होगा।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपानीत गठबंधन सरकार के खिलाफ तैयार हो रहा संयुक्त विपक्षी मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ सकता है। फिलहाल, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की लामबंदी में एकजुटता तो नजर आ रही है, लेकिन विपक्षी धड़े के महत्वपूर्ण नेता बाबूलाल मरांडी …

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मुख्‍य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का इस्‍तीफा, दिया निजी कारणों का हवाला

मुख्‍य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। इसके पीछे का कारण निजी बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्‍लॉग पोस्‍ट में इस बात की जानकारी दी। उनके इस पोस्‍ट का टाइटल ‘थैंक यू अरविंद’ है। जेटली ने अपने पोस्‍ट में बताया कि सुब्रमण्यन वापस अमेरिका लौट जाएंगे। 16 अक्टूबर 2014 को सुब्रमण्यन ने यह पदभार तीन साल के लिए संभाला था। उनका कार्यकाल खत्म होने पर मैं चाहता था कि वह आगे भी इस पद पर बने रहें। 2017 में उनके सेवा को एक साल और बढ़ा दिया गया। उन्होंने लिखा कि इस दौरान उन्होंने बताया कि मैं पारिवारिक जिम्मेदारियों और मौजूदा पद को लेकर दुविधा में हूं। जेटली ने पोस्ट में यह भी लिखा कि इसका कोई विकल्प नहीं है, लेकिन वह अरविंद सुब्रमण्यन के फैसले से सहमत हैं। जेटली ने अपने ब्लॉग में अरविंद की तारीफ करते हुए बताया है कि वित्त मंत्रालय, पीएमओ और सरकार के अन्य विभागों के साथ उनका संवाद काफी अहम था। यह औपचारिक होने के साथ ही अनौपचारिक स्तर पर भी होता था। अपने पोस्‍ट में जेटली ने उन्‍हें जन धन, आधार, मोबाइल को डाटाबेस के तौर पर उपलब्‍ध कराने का श्रेय दिया है।

मुख्‍य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। इसके पीछे का कारण निजी बताया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्‍लॉग पोस्‍ट में इस बात की जानकारी दी। उनके इस पोस्‍ट का टाइटल ‘थैंक यू अरविंद’ है। जेटली ने अपने पोस्‍ट में …

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ब्रेक्जिट मामला: ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन में पीएम थेरेसा मे को झटका

ब्रेक्जिट मामले में ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन से ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे को झटका लगा है। सांसदों ने 235 के मुकाबले 354 वोटों से उस प्लान को नामंजूर कर दिया, जिसके तहत सरकार को ब्रुसेल्स से बात करनी थी। ब्रिटेन को इयू से निकालने का वादा थेरेसा मे ने आम चुनाव में यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन को बाहर लाने के वायदे पर चुनाव लड़ा था। नतीजे अप्रत्याशित थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उनकी सरकार दूसरे दलों के रहमोकरम पर है। ब्रेक्जिट से बाहर आने के फैसले पर सरकार अडिग है और वह संसद से इस पर स्वीकृति लेकर अपने कदम आगे बढ़ाना चाहती है। सोमवार को सरकार ने अपना प्लान सदन में पेश किया, लेकिन उसे झटका लग गया। अब मे की ताकत का पता बुधवार को तब चलेगा जब इस आशय का प्रस्ताव निचले सदन में पेश किया जाएगा। ‘ब्रेक्‍जिट’ के फैसले को 60 से अधिक सांसदों का समर्थन यह भी पढ़ें अपने ही सांसदों का विरोध सरकार को आज तगड़ा झटका तब लगा जब अपनी ही पार्टी के सांसदों का विरोध सरकार को झेलना पड़ा। मे के मंत्रियों की तरफ से सारे घटकाक्रम पर खेद जताया गया। उनकी संसद से अपील थी कि सरकार को ब्रेक्जिट मामले में नियम तय करने का अधिकार मिले। हालांकि ऊपरी सदन ने सोमवार को संकेत दिया कि सांसद इस अहम मामले में सारे कायदे तय करने का अधिकार अपने पास रखना चाहते हैं। आज के घटनाक्रम से साफ है कि थेरेसा मे को आने वाले दिनों में और ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। आने वाले दिनों में ब्रेक्‍जिट से जुड़े कई प्रस्ताव अभी संसद में पेश होने हैं।

ब्रेक्जिट मामले में ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन से ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे को झटका लगा है। सांसदों ने 235 के मुकाबले 354 वोटों से उस प्लान को नामंजूर कर दिया, जिसके तहत सरकार को ब्रुसेल्स से बात करनी थी। ब्रिटेन को इयू से निकालने का वादा थेरेसा मे ने …

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जम्‍मू-कश्‍मीर में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन लिया वापस, महबूबा मुफ्ती ने दिया इस्‍तीफा

जम्‍मू-कश्‍मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी का तीन साल पुराना गठबंधन आखिरकार टूट गया है। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा जम्‍मू-कश्‍मीर प्रभारी राम माधव ने इस बात की जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि हमने सबकी सहमति से आज यह निर्णय लिया है कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा अपनी भागीदारी को वापस लेगी। 87 सीटों वाली जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में भाजपा के पास 25 सीट और पीडीपी के पास 28 सीटें हैं। महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्‍तीफा राज्‍यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा द्वारा राज्य में सत्तासीन गठबंधन सरकार से अलग होने का एलान करने के बाद अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया। राज्य सरकार के प्रवक्ता और सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने महबूबा मुफ्ती द्वारा इस्तीफा दिए जाने की पुष्टि की है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने भी भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री महबूबा मुफती के मंत्रीमंडल में शामिल सभी मंत्रियों के इस्तीफों की पुष्टि करते हुए कहा कि अब हम गठबंधन से अलग हो चुके हैं। इसलिए मंत्रीमंडल और सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं हैं। हमनने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए हैं। महबूबा मुफ्ती की अलगाववादियों को नसीहत, केंद्र की वार्ता की पेशकश का उठाएं लाभ; बार-बार नहीं मिलेंगे मौके यह भी पढ़ें भाजपा के महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा, 'हम खंडित जनादेश में साथ आए थे। लेकिन मौजूदा समय के आकलन के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था। महबूबा मुफ्ती हालात संभालने में नाकाम साबित हुईं। हम एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की। गृहमंत्री समय पर राज्य का दौरा करते रहे। सीमा पार से जो भी पाकिस्तान की सभी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार और सेना करती रही। लेकिन हालात सुधर नहीं रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या कर दी गई। राज्य में बोलने और प्रेस की आजादी पर खतरा हो गया है। राज्य सरकार की किसी भी मदद के लिये केंद्र सरकार करती रही। लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह से असफल रही। जम्मू और लद्दाख में विकास का काम भी नहीं हुआ। कई विभागों ने काम की दृष्टि से अच्छा काम नहीं किया। भाजपा के लिये जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन आज जो स्थिति है उस पर नियंत्रण करने के लिये हमने फैसला किया है कि हम शासन को राज्यपाल का शासन लाएं। आतंकी हमले के बीच कुपवाड़ा में राजनाथ सिंह, गुर्जर बकरवाल समुदाय के लोगों से मिले यह भी पढ़ें राम माधव ने कहा कि रमजान के महीने में हमने सीजफायर कर दिया था। हमें उम्मीद थी कि राज्य में इसका अच्छा असर दिखेगा। यह कोई हमारी मजबूरी नहीं थी। हमने अमन के लिए ये कदम उठाया था। लेकिन इसका असर ना तो आतंकवादियों पर पड़ा और ना हुर्रियत पर। केंद्र सरकार ने घाटी में हालात संभालने के लिये पूरी कोशिश की है। आतंकवाद के खिलाफ हमने व्यापक अभियान चलाया था, जिसका हमें फायदा भी हुआ। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद आतंकवाद के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। घाटी में शांति स्थापित करना हमारा एजेंडा था और रहेगा। भाजपा नेता ने मुफ्ती सरकार पर जम्‍मू-कश्‍मीर में काम ना करने देने का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा कि पीडीपी ने विकास के कामों में अड़चन डालने का काम किया। कश्मीर में जो परिस्थिति है उसे ठीक करने के लिए, उसे काबू में करने के लिए राज्य में राज्यपाल का शासन लाया जाए। पीडीपी ने विकास के कामों में अड़चन डालने का काम किया जम्मू-कश्मीर में सीजफायर लागू करना हमारी मजबूरी नहीं थी। जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटों की स्थिति पीडीपी- 28 भाजपा- 25 नेशनल कॉन्फ्रेंस- 15 कांग्रेस- 12 अन्य- 07 कुल सीटें 87

जम्‍मू-कश्‍मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी का तीन साल पुराना गठबंधन आखिरकार टूट गया है। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा जम्‍मू-कश्‍मीर प्रभारी राम माधव ने इस बात की जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि हमने सबकी सहमति से आज यह …

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जरदारी का आरोप, नवाज ने करवाई दुनिया भर में पाक की किरकिरी

पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्‍यक्ष और पूर्व राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की निंदा करते हुए उनपर पाकिस्‍तान की किरकिरी करवाने का आरोप लगाया है। जरदारी ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्‍तान को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां दुनिया भर में उसकी निंदा हो रही है।‘ पाकिस्‍तान आम चुनाव को लेकर देशभर में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। जरदारी 24 साल बाद नवाबशाह की संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले कराची की ल्‍यारी सीट से 1990 और नवाबशाह से 1993 में चुने गए थे। वर्ष 2008 से 2013 के बीच वे पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति रह चुके हैं। जियो न्‍यूज के अनुसार, जरदारी ने कहा कि पीपीपी हमेशा से राजनीति के मौलिक सिद्धांतों का पालन करती है। आगामी 25 जुलाई को होने वाले चुनाव के बारे में उन्‍होंने दावा किया कि पार्टी के उम्‍मीदवार विजयी होंगे और पार्टी सरकार का गठन करेगी। नवाज सरकार द्वारा किए गए गलत कामों को आगामी पीपीपी सरकार सही करेगी। बता दें कि इस चुनाव में जरदारी की पार्टी पीपीपी, नवाज की सत्‍तारूढ़ पाकिस्‍तान मुस्‍लिम लीग औश्र पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्‍यक्ष और पूर्व राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की निंदा करते हुए उनपर पाकिस्‍तान की किरकिरी करवाने का आरोप लगाया है। जरदारी ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्‍तान को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां दुनिया भर …

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जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट शुरू होने से अब आएगी आतंकवादियों की शामत

जम्मू कश्मीर में भारत सरकार ने अहम फैसला लेते हुए सीजफायर खत्म कर दिया है। अब कश्मीर में फिर से ऑपरेशन ऑल आउट शुरू होगा। आतंकवादियों के खिलाफ अभियान पर एकतरफा रोक को लेकर केंद्र सरकार राज्य की सुरक्षा स्थिति पर नजर बनाए हुए थी। बता दें कि रमजान के पवित्र महीने के मद्देनजर 16 मई को सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ अभियान पर एक माह के लिए रोक की घोषणा की थी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर आतंकियों के खिलाफ अभियान शुरू करने की जानकारी दी। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एक माह बाद ही आतंकियों के खिलाफ संघर्ष विराम वापस ले लिया है। रमजान के महीने में अपनी तरफ से संघर्ष विराम का एलान कर केंद्र सरकार ने जो दरियादिली दिखाई थी उसका बहुत असर नहीं दिखा। इसके बाद सरकार ने आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन ऑल-आउट फिर शुरू करने का फैसला कर लिया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह ट्वीट कर बताया कि आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन फिर से शुरू हो रहा है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह के अलावा अन्य संबंधित अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भविष्य बचाने के लिए, पत्थरबाजी में लिप्त बच्चों को दी माफी यह भी पढ़ें गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि सुरक्षा बलों को आदेश दिया जा रहा है कि वे पहले की तरह ऐसी आवश्यक कार्रवाई करें, जिससे आतंकवादियों को हमला करने से रोका जा सके। भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में हिंसा से मुक्त वातावरण बनाने का प्रयास जारी रखेगी। इसके लिए जरूरी है कि राज्य के सभी शांतिप्रिय लोग आतंकियों को अलग-थलग कर दें। जिन लोगों को गुमराह कर गलत रास्ते पर ले जाया गया है, उन्हें शांति के मार्ग पर वापस लाने के लिए प्रेरित करें। हमने संघर्ष विराम का सम्मान किया, पाकिस्तान ने दिया धोखा, मिलेगा जवाब यह भी पढ़ें गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शुक्रवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी। इसी सप्ताह पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या और सेना के जवान औरंगजेब का अपहरण तथा हत्या ने इस व्यवस्था के आगे जारी रहने पर संदेह पैदा कर दिया था, लेकिन सरकार ने एक बार फिर इस अहम फैसला सुनाते हुए सीजफायर खत्म कर दिया है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया था कि इसके बारे में वह 17 तारीख को बोलेंगे। हालांकि माना जा रहा था कि घाटी में पिछले एक हफ्ते में हुए ताजा घटनाओं के बाद केंद्र पर सीजफायर खत्म कर ऑपरेशन ऑल आउट दोबारा शुरु करने का जबरदस्त दबाव है। सरकार नहीं लेना चाहती जोखिम भारत सरकार इस महीने की 28 तारीख को शुरू होने जा रही बाबा अमरनाथ यात्रा को लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहती है। चूंकि यह यात्रा आतंकवादियों के लिए आसान निशाना हो सकती है और इसलिए सरकार आतंकवादियों को छूट देकर कोई जोखिम नहीं लेगी। पिछले साल अमरनाथ यात्रियों पर हुये आतंकवादी हमले के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने इस बार सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। इसके बावजूद,आतंकवादियों के हौसले पस्त करने के लिए सेना को उनके खिलाफ अभियान की छूट देने की भी जरूरत महसूस की जा सकती है। एकतरफा सीजफायर केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में शांति बहाली की दिशा में 15 मई को जम्मू-कश्मीर में एकतरफा सीजफायर की घोषणा की थी। हालांकि इस फैसले के बाद भी सरकार ने सुरक्षाबलों को आतंकी हमलों की स्थिति में मनचाही कार्रवाई की छूट दे रखी थी। इस दौरान कई आतंकी वारदातें भी हुई हैं। सरकार के इस फैसले के बाद लगातार सवाल खड़े किए जा रहे थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि हम आतंकियों की दया पर एकतरफा सीजफायर नहीं कर सकते हैं और उन्हें निहत्थे लोगों की हत्या करने की खुली छूट नहीं दे सकते हैं। अब राज्य और केंद्र सरकार को तय करना है कि एकतरफा या दोतरफा सीजफायर करना है। शिवसेना के प्रमुख उद्दव ठाकरे व एनडीए के सहयोगी दलों ने भी इसके घाटी में होने वाली हिंसक घटनाओं के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया था। सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने इस बार पूरी कोशिश की कि संघर्ष विराम के दौरान हिंसक वारदात हो। 17 अप्रैल से 17 मई के दौरान जहां 18 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 17 मई के बाद तकरीबन 50 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि घाटी में हालात 1990 से भी विकट हो गए हैं।

जम्मू कश्मीर में भारत सरकार ने अहम फैसला लेते हुए सीजफायर खत्म कर दिया है। अब कश्मीर में फिर से ऑपरेशन ऑल आउट शुरू होगा। आतंकवादियों के खिलाफ अभियान पर एकतरफा रोक को लेकर केंद्र सरकार राज्य की सुरक्षा स्थिति पर नजर बनाए हुए थी। बता दें कि रमजान के …

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