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ऐतिहासिक कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने अपनाई लोक कल्याणकारी धम्म नीति

ऐतिहासिक कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने अपनाई लोक कल्याणकारी धम्म नीति

अमेठी: रविवार को अशोक विजयादशमी और अभिधम्म दिवस के अवसर पर डिडौली स्थित स्वागत होटल में एक दिवसीय धम्म विचया कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम धम्मा फाउंडेशन इंडिया द्वारा आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. संजय भारतीय ने की। उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक के शासनकाल में भारत बौद्ध राष्ट्र के रूप में विकसित हुआ, जिसमें लगभग 80% आबादी बौद्ध थी।

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प्रमुख वक्ता, डॉ. जयशंकर ने सम्राट अशोक के योगदान की चर्चा की। उन्होंने बताया कि कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध नीति को त्यागकर बौद्ध नीति अपनाई और सैकड़ों धम्म महामात्यों की नियुक्ति की। अशोक ने शिलालेखों और स्तंभ लेखों के माध्यम से जनकल्याण के कार्य किए।

डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि अशोक का शासन 41 वर्षों का था, जिसमें 7 वर्ष चण्ड अशोक और 34 वर्ष धम्म अशोक के रूप में गुजरे। अशोक ने 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया और बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।

पूर्व चिकित्साधिकारी, डॉ. आर.पी. मौर्य ने जेम्स प्रिंसेप के उत्खनन कार्य की सराहना की, जिससे बुद्ध और अशोक का धम्म विश्व पटल पर आया। उन्होंने कहा कि मौर्य केवल एक जाति नहीं, बल्कि एक संस्कृति है जो आज भी जीवित है।

धम्मा फाउंडेशन के प्रमुख ट्रस्टी, अखिल सिंधु ने धम्म पर विस्तृत और तर्कपूर्ण विचार विमर्श का महत्व बताया। उन्होंने अभिधम्म पिटक की सात पुस्तकों का जिक्र किया और लोगों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया।

इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. सुनील दत्त ने किया। इस अवसर पर विभिन्न समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को समृद्ध किया, जिसमें राम सजीवन धीमान, श्यामलाल, सुरेंद्र मौर्य, और कई अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल थे।

कार्यक्रम ने सम्राट अशोक की धम्म नीति और उसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया। यह बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान और उसके प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का एक प्रयास था। सम्राट अशोक का जीवन और शिक्षाएं आज भी प्रेरणादायक हैं।

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