दहेज के लिए विवाहिता की हत्या के एक हृदयविदारक मामले ने लखनऊ और कानपुर में इंसाफ की गुहार को तेज कर दिया है। रायबरेली की रहने वाली सुनीता मिश्रा ने अपनी बेटी मानसी मिश्रा की मौत के लिए उसके पति और ससुरालवालों को ज़िम्मेदार ठहराया है।

सुनीता मिश्रा ने बताया कि उन्होंने अपनी सामर्थ्य से अधिक दान-दहेज देकर बेटी की शादी मई 2023 में कानपुर निवासी राजा पाठक से की थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुरालवालों ने बाइक की मांग शुरू कर दी। उन्होंने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके पति का निधन हो चुका है और घर में कमाने वाला कोई नहीं है, इसलिए बाइक देना संभव नहीं था।
इसके बावजूद उत्पीड़न नहीं रुका। 16 जुलाई 2024 को मानसी को इस कदर पीटा गया कि उसे ब्रेन इंजरी हो गई और उसकी आंखों की रोशनी चली गई। सूचना पाकर सुनीता अपनी बेटी को कानपुर से लखनऊ ले आईं और मड़ियांव स्थित हिम सिटी अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज में लाखों रुपए लगने लगे। उन्होंने ससुराल वालों से मदद मांगी, लेकिन पति राजा पाठक और अन्य सदस्य पैसा लाने का बहाना बनाकर अस्पताल से भाग गए और मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया।

इलाज के दौरान ऑपरेशन हुआ, जिससे मानसी की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई। वह केवल आवाज़ से लोगों को पहचानने लगी थी। 28 अप्रैल 2025 को उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई और 9 मई को शाम 7:30 बजे उसकी मौत हो गई।
दहेज के लिए विवाहिता की हत्या से जुड़े इस मामले में सबसे दुखद पहलू यह रहा कि मानसी की मौत के बाद उसके पति या ससुराल पक्ष का कोई भी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ। पुलिस को जानकारी देने के बाद शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया और उसकी वीडियोग्राफी भी हुई।

बीकेटी थाना प्रभारी के अनुसार, अगस्त 2024 में ही सुनीता मिश्रा की शिकायत पर राजा पाठक, राजू पाठक, लक्ष्मी पाठक और छोटू पाठक के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज किया गया था। उस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज में दहेज की मानसिकता और महिला उत्पीड़न की एक क्रूर तस्वीर है, जो कानून और संवेदना दोनों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।