सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, डीजीपी ने सभी जिलों को एनकाउंटर से जुड़े मामलों में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। 2017 से लागू गाइडलाइंस के अनुसार, यदि एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल होता है या उसकी मौत हो जाती है, तो घटनास्थल की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी।
एनकाउंटर में मृत अपराधी के शव का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा किया जाएगा, जिसकी भी वीडियोग्राफी अनिवार्य है। घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम को निरीक्षण करना होगा और संबंधित थाने की पुलिस द्वारा जांच नहीं की जाएगी। इसके लिए दूसरे थाने या क्राइम ब्रांच की पुलिस को जांच सौंपा जाएगा।
एनकाउंटर में शामिल अधिकारियों की जांच उनके रैंक से एक स्तर ऊपर के अधिकारी द्वारा की जाएगी। एनकाउंटर में मारे गए अपराधी के परिजनों को घटना की सूचना तुरंत दी जाएगी, और इसकी जानकारी पंचनामा रिपोर्ट में शामिल की जाएगी।
एनकाउंटर में उपयोग किए गए हथियारों को भी सरेंडर किया जाएगा ताकि उनकी जांच की जा सके। यदि एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल होता है, तो उनसे बरामद हुए हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण भी कराया जाएगा।
ये निर्देश सुनिश्चित करेंगे कि एनकाउंटर की प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी मानदंडों के अनुसार हो।
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