भारत को ‘एक देश-एक कर-एक बाजार’ में बदलने वाले जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) को एक साल पूरा हो चुका है। इस एक साल के दौरान जीएसटी कई संशोधनों और बदलावों के दौर से गुजरा। तमाम बदलावों के बाद जीएसटी का जो मौजूदा स्वरुप हमारे सामने है उसमें अब भी काफी बदलाव की गुंजाइश नजर आती है। खैर जीएसटी ने देश में क्या कुछ बदलाव किए और किन सेक्टर्स को प्रभावित किया, हम एक्सपर्ट के माध्यम से आपको यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
अलंकित लिमिटेड जो कि देश की दिग्गज जीएसपी (जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर) कंपनी है, के प्रबंध निदेशक अंकित अग्रवाल की मानें तो तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सरकार बड़ी तत्परता से इनसे निपटती रही है। जीएसटी सिस्टम में परिवर्तन किए गए नई तकनीक अपनाई गई और अलग-अलग सेक्टर की चिंताएं दूर की गईं। साथ ही अधिसूचनाएं, सर्कुलर,एफएक्यू, स्पष्टीकरण, उद्योग एवं व्यापार जगत से परस्पर परस्पर संपर्क कार्यक्रम किए गए और इनमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की कम्पनियों ने सहयोग दिया। जीएसटी के आने से एक नए तकनीकी और व्यवहार परिवर्तन युग का आरंभ हुआ। पिछले साल पर नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि जीएसटी में पिछले साल के कुछ संशोधनों पर पुर्नविचार आवश्यक है।
पूरे देश का डिजिटाइजेशन: भारत में कर का काम आमतौर पर मैन्युअली होता है। तकनीक अपनाने में हम पीछे रहे हैं। जीएसटी के आने के बाद तकनीक अपनाना अनिवार्य हो गया है। इससे कई नए प्रयोग के रास्ते खुले हैं। साथ ही जन-धन के जानकार बनने के अवसर सामने हैं।
सभी कारोबारों के लिए तरक्की के अवसर: आज एसएमई हो, एमएसएमई या बड़ा उद्यम सभी के लिए समान कर के स्लैब निर्धारित किए गए हैं। जिनका अनुपालन करना अनिवार्य है। कर चोरी करने या कानूनी दाव-पेंच से कर बचाने की गुंजाइश नहीं है। इस तरह कारोबार करना आज सचमुच आसान हो गया है। कहना न होगा कि इससे भ्रष्टाचार दूर होगा, बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और मुनाफाखोरी नहीं होगी। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा।
सब के विकास के लिए बेहतर प्रयास: जीएसटी के तहत एक प्रमुख प्रक्रिया इनपुट टैक्स क्रेडिट की है जो जीएसटी से पूर्व मुमकिन नहीं था। आज एसएमई को रिकॉर्ड दुरुस्त रखने का इंसेंटिव मिलता है। किसी की साख का आकलन करते हुए बैंक को भी इससे आसानी होती है क्योंकि वे जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) से उनके वित्तीय विवरणों की सत्यता जांच सकते हैं।
विभिन्न सेक्टर पर जीएसटी का असर?
आईटी/ आईटीई: आईटी इंडस्ट्री पर पहले 15 फीसद का कर लगता था जो कि जीएसटी के बाद 18 फीसद हो गया, जिससे यह सेवा लागू करने का खर्च अचानक बढ़ गया। पर लंबी अवधि में इसका अच्छा परिणाम होगा। निर्यात पर जीएसटी नहीं लगने कर के कास्केडिंग समाप्त समाप्त होने से आईटी सेक्टर की लागत में कमी आएगी और कुल मिलाकर लाभ बढ़ेगा।
ऑटोमोबाइल: जीएसटी ने उत्पाद कर, वैट, बिक्रीकर, पथकर, मोटरवाहन कर, रजिस्ट्रेशन शुल्क आदि सभी करों को अपने में समेट लिया है। कुल मिलाकर घटती कर व्यवस्था में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर पूर्व की तुलना में जीएसटी से कर में कमी आई है।
लॉजिस्टिक्स: जीएसटी लागू होने के बाद लॉजिस्टिक परफार्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) में भारत 19 स्थान ऊपर (54वें से 35वें स्थान पर) आ गया है। ई-वे बिल लागू करना भी एक साहसिक कदम था। शुरुआती दिक्कतों के बाद दूसरी पारी में ई-वे बिल सिस्टम लागू करने का काम सफल रहा है। सभी राज्यों से भौतिक जांच नाका हटा दिए जिसके परिणाम स्वरूप यातायात में कम समय लगता है और प्रति वाहन आमदनी बढ़ गई है।
बीएफएसआई: हालांकि वित्तीय सेवाओं पर कर 15 फीसद से बढ़कर 18 फीसद हो गया है पर जीएसटी का बड़ा लाभ यह मिला है कि अप्रत्यक्ष करों की संख्या कम हो गई है। इसमें विभिन्न कर आपस में जोड़ दिए गए हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि कर का भार इस सिस्टम में शामिल विभिन्न संगठनों में सही से बंट जाए।