चाणक्यपुरी मुहल्ले में गुरु ग्रंथ साहब के सहज पाठ के साथ हुआ विचार गोष्ठी और लंगर का आयोजन
अमेठी। गुरुनानक देव की जयंती इस वर्ष जिले में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। अमेठी नगर के चाणक्यपुरी मुहल्ले में गुरु ग्रंथ साहब के सहज पाठ के साथ एक विचार गोष्ठी और लंगर का आयोजन किया गया। यह आयोजन गुरु गोविंद सिंह जी लंगर आयोजन समिति द्वारा किया गया था, जो पिछले आठ वर्षों से लगातार सेवा कार्य में संलग्न है। इस वर्ष नौवें वर्ष भी गुरु नानक देव जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई।
विचार गोष्ठी में व्यक्त किए गए महत्वपूर्ण विचार
कार्यक्रम के दौरान बाबा मनोहर सिंह ने गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “गुरु साहब ने साध संगत को ही ईश्वर का रूप दिया है। खालसा मानव मूल्यों के निर्माण की संस्था है और वह शुद्ध मनुष्य के निर्माण में सहायक है।” उन्होंने यह भी बताया कि गुरु शब्द में चारों युगों का समावेश है, जैसे कि वासुदेव, हरि, गोविंद और राम।
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वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अम्बरीष मिश्रा ने कहा, “गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को किसी एक धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता। जैसे आकाश अनंत है, वैसे ही गुरु नानक देव की शिक्षाएं भी अनंत हैं। गुरु नानक देव ने अपने जीवन में दुनिया को एक सशक्त संदेश दिया है। समाज को चाहिए कि वे धर्माचार्यों के विद्वेषपूर्ण दृष्टिकोण से बचें और सभी प्राणियों के प्रति सद्भावना और समभाव को अपनाएं। यही सच्ची ईश्वर सेवा है।”
अवधी साहित्य संस्थान और अमेठी जल बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन पांडेय ने गुरु नानक देव जी के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि गुरु साहब ने भारत की धरती पर एकेश्वरवाद का ज्ञान दिया। उन्होंने 15वीं शताब्दी को खोज और अन्वेषण के महायुग की संज्ञा दी। रामकृष्ण परमहंस और गुरु नानक ने गृहस्थ जीवन के साथ संन्यास और साधना की मिसाल पेश की और समाज में क्रांति का आह्वान किया। “सिख का मतलब सत्य की साधना है,” डॉ. पांडेय ने कहा।
सेवादार संजीव भारती ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने लंगर की शुरुआत की थी, ताकि गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन मिल सके। “सेवा और सन्मार्ग ही सिख धर्म का मूल है,” उन्होंने कहा।
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लंगर और सेवा का महत्व
लंगर आयोजन समिति के सचिव सदाशिव पांडेय ने विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए बताया कि गुरु नानक देव के नाम का स्मरण करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सिख धर्म ने हिन्दू धर्म का संरक्षण किया और खालसा पंथ के माध्यम से अत्याचारियों का दमन किया। इस दौरान छात्रा हरसुख ने गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके शिक्षाओं का सार प्रस्तुत किया।
सुनील त्रिपाठी, सरदार हरवंश सिंह, रमन लाल पांडेय, सतीश मिश्र और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी गुरु नानक देव जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
भविष्य में लंगर और सेवा की नई योजनाएं
बाबा मनोहर सिंह ने कार्यक्रम के दौरान एक और महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि अब से हर महीने गुरु ग्रंथ साहब के दो सहज पाठ आयोजित किए जाएंगे, जिसमें सेवादार और अन्य लोग भी सेवा दे सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस वर्ष बीस दिसंबर से दस फरवरी तक श्री पटना साहिब जाने वाले यात्रियों के लिए 52 दिवसीय लंगर का आयोजन किया जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण सेवा कार्य रहेगा।
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डॉ. अर्जुन पांडेय ने उपस्थित जनों से एक दिन लंगर की सेवा देने का निवेदन भी किया, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रभाव पहुंच सके और समाज में सेवा की भावना जागृत हो।
यह आयोजन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को फैलाने और समाज में सेवा की भावना को मजबूत करने का एक बेहतरीन उदाहरण था।