भ्रष्टाचार स्कैंडल के कारण दक्षिण कोरिया में लंबे समय से राष्ट्रपति पार्क गुन-हे के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन हो रहा था। दक्षिण कोरियाई संसद ने राष्ट्रपति पार्क गुन-हे के खिलाफ महाभियोग के पक्ष में वोट किया है। महाभियोग के बाद राष्ट्रपति के सारे अधिकार प्रधानमंत्री ह्वांग क्यो-अह के पास चले जाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि पार्क कठपुतली की तरह काम कर रही थीं। हालांकि कई लोगों का कहना है कि ये सनसनीखेज दावे अप्रमाणिक हैं। आधिकारिक जांच में चोई पर सरकार की नीति को प्रभावित करने और गोपनीय सूचनाएं हासिल करने की बात शामिल है। चोई पर यह भी आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति से संबंधों का फायदा उठाकर कंपनियों पर दबाव बनाया और लाखों डॉलर की रकम रिश्वत के रूप में ली हैं।
अभियोजकों का कहना है कि पार्क इस मामले में भ्रष्टाचार के दायरे में आ रही हैं। इस मामले में वह पिछले कई हफ्तों से आरोपों को खारिज करती आ रही थीं। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कई बार माफ़ी भी मांगी थी।
दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली ने 56 के मुक़ाबले 234 वोटों से महाभियोग पर मुहर लगा दी। इसका मतलब यह है कि राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने भी महाभियोग के पक्ष में मतदान किया।
इस वोट का मतलब हुआ कि पार्क को पद छोड़ना होगा। हालांकि इस फ़ैसले को अभी नौ जजों वाले संवैधानिक कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी। यदि इस फैसले को मंजूरी मिल जाती है तो पार्क को पद छोड़ना होगा। दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहला वाकया होगा जब किसी राष्ट्रपति को कार्यकाल के बीच से हटाया जाएगा।
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