प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 27 फरवरी को तिरुवनंतपुरम में गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा के बाद उनके सपना 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, अब जल्द साकार होता नजर आ रहा है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस महत्वाकांक्षी योजना की पुष्टि करते हुए कहा है कि 2035 तक भारत अपना पहला अंतरिक्ष स्टेशन बनाने जा रहा है। इसे “भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन” (बीएएस) के नाम से जाना जाएगा।
बीएएस क्या है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित बीएएस एक मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन होगा, जो जीवन विज्ञान, चिकित्सा, और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
52 टन वजनी बीएएस प्रारंभ में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मेजबानी करेगा, लेकिन भविष्य में इसकी क्षमता छह तक बढ़ाने की योजना है। इसका पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होने की उम्मीद है और पूरी परियोजना 2035 तक पूरा हो जाएगा।
अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व
अंतरिक्ष स्टेशन एक लंबे समय तक चलने वाला कृत्रिम उपग्रह होता है, जहां अंतरिक्ष यात्री वैज्ञानिक अध्ययन और शोध कर सकते हैं। अभी तक दुनिया में केवल दो अंतरिक्ष स्टेशन हैं – इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और चीन का तियांगोंग।
अगर भारत अपना स्पेस स्टेशन बना लेता है, तो वह तीसरा ऐसा देश होगा जिसके पास एक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन होगा। बीएएस भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, मानव स्वास्थ्य और जीवन-निर्वाह प्रौद्योगिकियों पर अध्ययन की अनुमति देगा, जो भारत को अंतरिक्ष अभियानों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।
इसरो की नई उपलब्धियों में चंद्रयान-1 और चंद्रयान-3 की महत्वपूर्ण सफलताएं शामिल हैं, जो चंद्रमा पर पानी की खोज से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने तक के महत्वपूर्ण मिशन रहे हैं।
बीएएस इसरो की विरासत में एक और गौरवपूर्ण उपलब्धि जोड़ते हुए, भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण में स्थिति को और मजबूत करेगा।