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अनुपमा से बदतमीजी, मंत्री से पंगा, अनूप को पड़ा मंहगा

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लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिरकण उपाध्यक्ष डा. अनूप कुमार यादव का गुरुवार को शासन ने तबादल कर दिया। उनके एलडीए वीसी की कुर्सी छीनने के पीछे विभागीय अधिकारियों से सामंजय नहीं बैठा पाना और हर रोज एलडीए में सामने आ रहे नए-एन विवादों को माना जा रहा है।

एलडीए में तैनात अनुपमा राग से वीसी की बदतमीजी के बाद मुख्यमंत्री से बाकायदा शिकायत की गई थी। वहीं मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल की दुकानों के ध्वस्तीकरण का मामला और सचिव के अधिकारों में सेंधमारी का विवाद अनूप यादव की कुर्सी छीनने में मुख्य वजह रही।

विवादों के चलते ही चार माह के अल्प समय के अंदर अनूप यादव को वीसी के पद से हटाकर निदेशक विकलांग जन विकास के पद पर तैनाती दी गई है। एलडीए वीसी का कामकाज अब राजधानी के जिलाधिकारी सत्येन्द्र सिंह अतिरिक्त प्रभार के रूप में संभालेंगे।

डा. अनूप कुमार यादव ने लखनऊ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष का कार्यभार विगत 28 अगस्त को संभाला था। पद संभालने के कुछ समय बाद ही एलडीए में तैनात कुछ अधिकारियों से उनकी हनक और घुड़की के चलते विवाद होना शुरू हो गया था। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के एक नजदीकी की पत्नी अनुपमा राग से अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने के मामले ने बड़ा तूल पकड़ा था।

इस मामले में बाकायदा वीसी की शिकायत मुख्यमंत्री से लिखित में की गई थी। इसके अलावा सरकार के ताकतवर मंत्री शारदा प्रताप शुक्ल की दुकानों को तोड़े जाने का मामला भी विवादों में रहा। सचिव के कार्यक्षेत्र में कैंची चलाने के प्रकरण ने भी खूब सुर्खियां बटोरी, जिससे एलडीए की साख को बट्टा लगा।

इतना ही नहीं कर्मचारियों संगठन ने सचिव के पद में उपाध्यक्ष के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया था। इसके अलावा भूखण्डों के आवंटन के मामले और प्रॉपर्टी डीलरों से नजदीकी की शिकायत के वीसी के कई मामले मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंचे जिन्होंने अनूप यादव के खिलाफ माहौल तैयार होने में अहम भूमिका निभाई।

एलडीए सूत्रों का कहना है कि अनूप यादव के व्यवहार के कारण भी अधिकांश विभाग के अधिकारी अंदर ही अंदर उनके खिलाफ माहौल तैयार कर रहे थे।

एलडीए कर्मचारियों और उपाधक्ष के बीच के संबंध भी बेहतर नहीं रहे, लगातार कर्मचारी संगठनों का किसी ने किसी मुद्दे पर वीसी से विवाद बना रहा।

कई ऐसे विवाद अनूप यादव के कार्यकाल में जुड़े जो निस्तारित होने के बजाए गहराते चले गए और सीएम के दरबार में उनके प्रति नकारात्मक माहौल बनता चला गया। स्पष्ट रूप से विभाग का कोई अधिकारी उनके विरुद्व बोलने को तैयार नहीं था, किंतु दबी जबान में उनकी वीसी से नाराजगी साफ झलकी।

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