लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद ने केन्द्र और प्रदेश दोनो ही सरकारों की किसान विरोधी नीतियों पर आक्रोष व्यक्त करते हुये कहा कि चुनाव के समय किसानों, मजदूरों और नौजवानों का हितैषी होने के लुभावने सपने दिखाकर सत्ता पर कब्जा करने वाली इन सरकारो की नीतियां स्पष्ट रूप से किसानों और मजदूरों की नहीं बल्कि उद्योगपतियों तथा पूंजीपतियों की हितैषी रही हैं।
उन्होंने बताया कि इन नीतियों के विरोध में आगामी 26 दिसम्बर को रालोद कार्यकर्ता राजधानी लखनऊ में विधान सभा का घेराव करेंगे।
डा. मसूद ने गुरुवार को कहा कि केन्द्र सरकार ने नोटबंदी की असमय घोषणा करके रबी की फसल की बुवाई के समय किसानों को खाद और बीज के लिए दर दर ठोकरे खाने पर मजबूर किया है साथ ही इस सन्दर्भ में उचित व्यवस्था न करके देश के हजारों कारखानों को बन्द होने को मजबूर किया है जिससे लाखो मजदूर बेकार हो गये हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने धान क्रय केन्द्रों की उचित व्यवस्था न करके किसानों को अपना धान आधे अधूरे दामों में बेचने पर बाध्य किया तथा गन्ना किसानों को बकाया मूल्य पर मिलने वाला ब्याज मिल मालिको के पक्ष में माफ कर दिया। यह सब स्पष्ट रूप से उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले काम हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने विदेशों से आयात होने वाले गेहूं पर आयात शुल्क समाप्त करके सीधे-सीधे उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया है जिसका प्रदेश में गेहूं की तैयार फसल की बिक्री पर प्रभाव पडे़गा। विदेशों से आने वाला गेहूं सस्ता होगा और प्रदेश का किसान अपनी मेहनत का मूल्य पाने से वंचित रह जायगा।
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि इन्हीं सब किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करने के लिए आगामी 26 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में विधान सभा का घेराव किया जायेगा जिसमें राष्ट्रीय लोकदल के हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहेगे और घेराव का नेतृत्व रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयन्त चौधरी करेंगे।