“इसरो ने श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी59 रॉकेट लॉन्च किया, जिसमें यूरोपीय स्पेस एजेंसी का प्रोबा-3 मिशन शामिल था। यह मिशन सूर्य के कोरोना के अध्ययन के लिए दो सैटेलाइट्स को भेजेगा। इस मिशन पर करीब 1,778 करोड़ रुपये का खर्च आया है और यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने पीएसएलवी-सी59 रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह रॉकेट यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसओ) के प्रोबा-3 मिशन को लेकर उड़ान भरने वाला था, जो सूर्य के बाहरी वायुमंडल, यानी सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा। इस मिशन में 1,778 करोड़ रुपये का खर्च आया है और इसे कई यूरोपीय देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है। मिशन को बुधवार शाम 4:08 बजे लॉन्च करने का प्रयास किया गया था, लेकिन प्रोपल्शन सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था।
प्रोबा-3 मिशन सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए भेजा गया है, जहां सूर्य का तापमान 20 लाख डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुंच जाता है, जो कि सामान्य रूप से किसी उपकरण से अध्ययन करना असंभव होता है। इस मिशन में दो सैटेलाइट्स—कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर—एक साथ उड़ान भरेंगे, और सूर्य के इस काले घेरे का अध्ययन करेंगे।
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यह मिशन इसरो के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है, जिसमें स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड की टीमों ने सहयोग किया है। 2001 में इसरो द्वारा लॉन्च किया गया पहला प्रोबा मिशन आज अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन चुका है।
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