“लखनऊ में पतंगबाजी का महोत्सव ‘जमघट’ धूमधाम से मनाया जा रहा है। आसमान में मोदी-योगी, विराट कोहली, और रोहित शर्मा की तस्वीरों वाली पतंगें लहराते हुए दिख रही हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पतंग उड़ाकर इस पर्व का आनंद लिया।“
लखनऊ । राजधानी में पतंगबाजी का महापर्व ‘जमघट’ पूरे जोश के साथ मनाया जा रहा है, जिसमें हर तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और क्रिकेट सितारों विराट कोहली एवं रोहित शर्मा की तस्वीरों वाली पतंगें लहराते हुए नजर आ रही हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खुद तीन पतंग उड़ाकर इस आयोजन में जोश भर दिया।
आसमान में मोदी-योगी, विराट-रोहित की पतंगें
इस परंपरा में हर वर्ष की तरह इस बार भी नवाबी दौर का रोमांच दिखा। लखनऊ में पतंगबाजी का महापर्व ‘जमघट’ पूरे जोश के साथ मनाया जा रहा है, जहां मोदी, योगी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे देश के बड़े चेहरों की तस्वीरों वाली पतंगें आसमान में लहरा रही हैं। पतंगों पर पॉलिटिकल स्लोगन और पर्यावरण बचाने के संदेश भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खुद तीन पतंगें उड़ाकर लोगों का उत्साह बढ़ाया। लखनऊ के ऐतिहासिक चौक, हुसैनगंज, अमीनाबाद, मौलवी गंज, वजीरगंज, चौक, नक्खास, चौपटिया, और ठाकुर गंज इलाकों में पतंगबाजी का यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है।
इस वर्ष पतंगों के साथ राजनीतिक और सामाजिक संदेश जुड़े हैं, जिससे यह पतंगबाजी प्रतियोगिता और भी खास बन गई है। 250 साल पुराने पतंगबाजी के इतिहास को जिंदा रखते हुए, आज भी नवाबों के शहर लखनऊ में पतंगबाजी का यह पर्व नई पीढ़ी में उत्साह का संचार कर रहा है।
जमघट के दिन अवध में पतंगबाजी का इतिहास
अवध क्षेत्र में जमाघट के दिन पतंगबाजी का एक गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन को मकर संक्रांति के अवसर पर मनाया जाता है, जो उत्तर भारत में एक प्रमुख त्यौहार है। मकर संक्रांति को सूर्य देवता के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो सर्दियों के अंत और वसंत के आगमन का प्रतीक है।
अवध में, खासकर लखनऊ में, पतंगबाजी एक परंपरागत खेल के रूप में इस दिन की शोभा बढ़ाती है। इस दिन आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों की बहार होती है, और हर आयु वर्ग के लोग इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पतंगबाजी का यह चलन सदियों पुराना है और इसे नवाबों के समय से जोड़ा जाता है। उस काल में नवाब पतंगबाजी को एक मनोरंजन और समाजीकरण का साधन मानते थे, जहाँ आमजन और रईस वर्ग एक ही मैदान में एकसाथ आते थे।
इसके अलावा, पतंगबाजी का एक प्रतीकात्मक पहलू भी है, जिसमें पतंगों के माध्यम से लोग अपने दुखों को छोड़कर नई ऊँचाइयों तक पहुंचने का संकेत देते हैं। पतंगों का उड़ना स्वतंत्रता और नई ऊँचाइयों को छूने की इच्छा का प्रतीक है।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल