“लखनऊ की पतंगबाजी का इतिहास 250 साल पुराना है, जो अंग्रेजों के विरोध और प्रेमियों के संदेश भेजने का माध्यम रहा है। इस दिवाली, लखनऊ की पतंगें ऑस्ट्रेलिया और दुबई तक पहुंचीं।”
लखनऊ। लखनऊ की पतंगबाजी का इतिहास 250 साल पुराना है। नवाब आसिफ-उद-दौला के दौर से चली आ रही यह परंपरा आज भी जीवित है, और हर साल दिवाली के दूसरे दिन ‘जमघट’ के रूप में मनाई जाती है।
जमघट के दिन पतंगबाजी की मुख्य बातें –
लखनऊ की ऐतिहासिक पतंगबाजी का जादू: ऑस्ट्रेलिया और दुबई तक पहुँच
पतंगों के जरिए अंग्रेजों का विरोध: लखनऊ की 250 साल पुरानी परंपरा
लखनऊ की पतंगों पर पर्यावरण संदेश: ‘Save Tree, Save Life’ की पहल
प्रेम का प्रतीक पतंग: 250 वर्षों से लखनऊ में प्रेम संदेश भेजने की कला
जी20 से प्रेरित मोदी-योगी की तस्वीर वाली पतंग की मांग: लखनऊ में पतंगों की धूम
पतंगों का ऐतिहासिक महत्व
लखनऊकी पतंगबाजी का उपयोग अंग्रेजों के विरोध में किया गया था। 1928 में कैसरबाग में आयोजित अंग्रेजों की एक बैठक में ‘साइमन गो बैक’ का संदेश देने के लिए सफेद पतंगों का उपयोग हुआ था।
पतंगों का प्रेम और संदेश भेजने का माध्यम
पतंगों का उपयोग प्रेम संदेश भेजने के लिए किया जाता था, जिसमें युवक-युवती अपने प्यार के संदेश लिखकर एक-दूसरे तक पहुंचाते थे।
वर्तमान की नई पहलें
इस साल लखनऊ की पतंगों पर ‘Save Tree, Save Life’ का संदेश लिखा गया है, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास है।
नवीनीकृत पतंग डिजाइन और वैश्विक मांग
लखनऊ की पतंगों को अब दुबई, सऊदी अरब, और ऑस्ट्रेलिया तक भेजा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी की तस्वीर वाली पतंगों की बाजार में बहुत मांग है, विशेष रूप से जी20 थीम पर आधारित पतंगों की।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
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