“लोकसभा में PM मोदी ने कहा कि छह दशक में 75 बार संविधान में संशोधन हुआ। 1975 में इमरजेंसी के दौरान 39वें संशोधन के जरिए नागरिकों के अधिकार छीने गए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।”
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि “पिछले छह दशकों में 75 बार संविधान में संशोधन किया गया है।” उन्होंने विशेष रूप से 1975 की इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर में “नागरिकों के अधिकारों को छीन लिया गया और न्यायपालिका को कमजोर किया गया।”
39वें संविधान संशोधन का जिक्र
PM मोदी ने इमरजेंसी के दौरान किए गए 39वें संशोधन को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा, “इस संशोधन के तहत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ कोर्ट में जाने का अधिकार खत्म कर दिया गया था। यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था।”
जस्टिस खन्ना का उदाहरण
प्रधानमंत्री ने जस्टिस एच.आर. खन्ना का उदाहरण देते हुए कहा, “इंदिरा गांधी सरकार ने अपने फैसलों का विरोध करने वाले जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनने से रोक दिया। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला था।”
संविधान और इमरजेंसी का प्रभाव
PM मोदी ने कहा कि “इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया गया। सरकार ने संविधान का दुरुपयोग करते हुए अपने राजनीतिक एजेंडे को थोपने का काम किया।”
संविधान में संशोधन का इतिहास
PM मोदी ने बताया कि भारत के संविधान को समय-समय पर संशोधित किया गया है। उन्होंने कहा, “संविधान को बदलने की जरूरत होती है, लेकिन इसका उपयोग देश को मजबूत करने के लिए होना चाहिए, न कि सत्ता को बचाने के लिए।”
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
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