लखनऊ, 15 मई।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नकली दवा कारोबार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए एक बार फिर यह संदेश दिया है कि जनस्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने वर्ष 2024-25 में अब तक 30 करोड़ 77 लाख रुपये की नकली दवाएं जब्त की हैं। इस कार्रवाई में 68 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और 1166 दवा कारोबारियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए।
विभागीय रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में पूरे प्रदेश में 1039 छापेमारी अभियान चलाए गए। इनमें 13,848 नमूनों को जांच के लिए संकलित किया गया, जिनमें से 96 नमूने नकली और 497 अधोमानक पाए गए। नकली दवा कारोबार में लिप्त पाए गए 06 दवा निर्माता कंपनियों और 05 ब्लड बैंकों के लाइसेंस भी रद्द किए गए हैं।
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विशेष रूप से लखनऊ, आगरा और गाजियाबाद जिलों में नकली दवा कारोबारियों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई की गई। लखनऊ में एसटीएफ के सहयोग से ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन और नकली दवाओं के खिलाफ कई छापे मारे गए। आगरा में 5 नवंबर 2024 को 1.36 करोड़ रुपये और गाजियाबाद में 6 फरवरी 2025 को 0.9 करोड़ रुपये की नारकोटिक्स औषधियां जब्त की गईं। बरेली में भी नकली कॉस्मेटिक उत्पादों की 0.5 करोड़ रुपये की खेप पकड़ी गई।
इस सघन अभियान के तहत आयुर्वेदिक दवाओं की आड़ में एलोपैथिक दवाओं के अपमिश्रण पर भी सख्ती बरती गई। ऐसे 14 नमूनों की जांच फिलहाल जारी है। अधिकारियों का कहना है कि यह अब तक की सबसे बड़ी राज्य स्तरीय कार्रवाई मानी जा रही है, जिसका असर ड्रग माफिया नेटवर्क पर स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
योगी सरकार की यह कार्यवाही न केवल दवा माफियाओं के हौसले पस्त कर रही है, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता को भी मजबूत बना रही है। सरकार ने भविष्य में ऐसे अभियानों को और तेज करने का संकेत दिया है।
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