नई दिल्ली:
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को नोटिस जारी होने के बाद राजनीतिक और कानूनी हलकों में हलचल तेज हो गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा, “किसी भी स्तर पर सुने जाने का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई में जान फूंकता है।” अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 मई की तारीख तय की है।
यह सुनवाई प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट पर हो रही है, जो 9 अप्रैल को पेश की गई थी। चार्जशीट में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट में बताया गया कि AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) से जुड़ी संपत्तियों में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं।
25 अप्रैल को कोर्ट ने कहा था कि चार्जशीट में कुछ दस्तावेज अधूरे हैं, जिन्हें दाखिल किए बिना किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने 25 अप्रैल को नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपियों का पक्ष सुने बिना यह संभव नहीं है।
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ED की कार्रवाई और कोर्ट की प्रतिक्रिया:
ED ने यह स्पष्ट किया कि उनकी ओर से कुछ भी छिपाया नहीं गया है। उन्होंने मांग की कि कोर्ट संज्ञान लेकर नोटिस जारी करे ताकि आदेश में देरी न हो। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक वह संतुष्ट नहीं हो जाता, तब तक कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा।
प्रॉपर्टी जब्ती की कार्रवाई:
चार्जशीट से पहले ED ने 12 अप्रैल को दिल्ली, मुंबई और लखनऊ स्थित AJL की संपत्तियों पर नोटिस चिपकाए और 661 करोड़ की अचल संपत्ति जब्त की। साथ ही, AJL के 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को भी नवंबर 2023 में कुर्क किया गया था।
कानूनी पेच और न्यायालय की टिप्पणी:
जज गोगने ने कहा कि पीएमएलए 2002 की धारा 44(1)(C) के तहत केस की सुनवाई उसी कोर्ट में होनी चाहिए जिसने मनी लॉन्ड्रिंग केस पर संज्ञान लिया है। इससे सुनिश्चित होता है कि दोनों अपराधों की सुनवाई एक ही क्षेत्राधिकार में हो।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
कांग्रेस ने इसे बदले की राजनीति बताया। पार्टी नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर इसे “राज्य प्रायोजित अपराध” बताया। वहीं, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि “जो लोग जनता की संपत्ति लूटते हैं, उन्हें अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को नोटिस मिलना इस हाई प्रोफाइल केस में एक नया मोड़ है, जिससे आने वाले समय में राजनीतिक और कानूनी दोनों ही मोर्चों पर बड़ी बहस छिड़ सकती है।