पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध एक बार फिर चर्चा में है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने स्वीकार किया है कि देश का इतिहास आतंकवाद से जुड़ा रहा है। स्काई न्यूज के एक इंटरव्यू में, उनसे पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा—”यह कोई सीक्रेट नहीं है। पाकिस्तान को अपनी गलतियों का अंजाम भुगतना पड़ा है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब पहलगाम में हालिया आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई और उसके बाद पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले के तुरंत बाद स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने 30 वर्षों तक आतंकियों को समर्थन और फंडिंग दी। बिलावल भुट्टो ने इस बयान का समर्थन करते हुए आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान की नीति को जिम्मेदार ठहराया।
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पहलगाम गोलीबारी की घटना की जांच में जुटी NIA और फॉरेंसिक टीम ने बायसरन घाटी में साक्ष्य जुटाए हैं। खुफिया सूत्रों का दावा है कि हमले में शामिल आतंकी दक्षिण कश्मीर के जंगलों में छिपे हैं। उनके पास पर्याप्त राशन-पानी है, जिससे वे पहाड़ी इलाकों में लंबे समय तक रह सकते हैं।
इस हमले के बाद भारतीय साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 10 लाख साइबर अटैक हुए हैं। महाराष्ट्र साइबर डिपार्टमेंट के अनुसार, ये हमले खासकर इस्लामिक ग्रुप्स द्वारा किए गए। साथ ही, पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर लगातार आठवें दिन सीजफायर का उल्लंघन भी किया गया।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “हमारी ज़ीरो टॉलरेंस नीति है, आतंकियों को चुन-चुन कर खत्म करेंगे।” वहीं, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने भी भारत के साथ खड़े रहने की बात कही है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी भारत-पाक मसले पर बैठक की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं द्वारा खुले तौर पर आतंकवाद के इतिहास को स्वीकार करना अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी स्थिति को और जटिल बना सकता है।