इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने आज पुलिस को एक प्रभावशाली जिला न्यायाधीश के यहां घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली 10 साल की एक लडकी के कथित उत्पीडन की जांच करने का आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति मियां साकिब निसार ने न्यायाधीश और उसकी पत्नी के हाथों इस्लामाबाद में उनकी घरेलू सहायिका पर कथित जुल्म ढाए जाने के विचलित कर देने वाले फोटो पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर दिखने के बाद बुधवार को स्वत: संज्ञान लिया।
उन्होंने आज आदेश दिया कि पुलिस मामले की जांच करें। अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई के दौरान पीडित लडकी को पेश करें। उन्होंने आदेश दिया कि मामले में अदालत लड़की के संरक्षक के तौर पर पेश हो और पीडिता के पिता द्वारा अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश राजा खुर्रम अली खान और उनकी पत्नी को दी गई माफी को खारिज कर दिया।
आज की सुनवाई के दौरान 2 महिलाएं लडकी की मां होने का दावा करते हुए पेश हुईं, जिसके बाद अदालत ने लडकी की DNA जांच का आदेश दिया। मंगलवार को इस मामले में एक और मोड़ आया जब लडकी के पिता ने एक स्थानीय अदालत में कहा कि उत्पीड़न की बात में कोई सच्चाई नहीं है और उन्होंने न्यायाधीश के साथ निजी समझौता कर लिया है।
इस्लामाबाद पुलिस के पास दर्ज FIR में लड़की ने बताया कि वह पिछले 2 वर्ष से खान के घर में काम कर रही है। शुरु में लड़की ने पुलिस को बताया कि उसे अक्सर घर में पीटा जाता था। उसने आरोप लगाया कि हाल ही में एक झाडू गुम जाने पर जज की पत्नी मानो बाजी ने उसके हाथ जलते हुए चूल्हे पर रख दिए।
उसने दावा किया कि वे लोग उसे रात में उसे स्टोर रुम में बंद कर देते थे। खाना नहीं देने के अलावा उसके साथ मारपीट भी करते थे।
पुलिस ने न्यायाधीश के घर से मुक्त कराने के बाद उसे हिरासत में ले लिया एवं उसे फिर महिला आश्रय घर में भेज दिया। लेकिन उसके माता-पिता वहां से उसे ले गए और फिर वे उसके साथ लापता हो गए।