भाषण के अंत में भी उन्होंने लद्दाख की ही भाषा का ही प्रयोग किया। मोदी इसके बाद कश्मीर पहुंचे। जहां उन्होंने भाषण की शुरुआत और वहां मौजूद कश्मीरी लोगों का स्वागत कश्मीरी भाषा बोल कर किया। एसकेआईसीसी ऑडिटोरियम में पीएम के दाखिल होते ही पूरा हॉल मोदी-मोदी के नारों के साथ गूँज पड़ा।
मोदी ने भी उनकी ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया गया। इसके बाद मोदी ने जैसे ही अपने भाषण की शुरुआत कश्मीरी से किया तो वहां मौजूद सभी लोग हैरान हो गए। भाषण की शुरुआत में मोदी ने कहा, “तुही सेयरी करीतोव मयानी तरफी मायब्रुच सलाम कबूल…उम्मीद छु कि तुही सेयरी छु असल पेठ बेई सहतो सलामत” जिसका मतलब है, “आप सब मेरी ओर से प्यार भरा सलाम कबूल करें…उम्मीद करता हूँ कि आप सब अच्छे और सही सलामत हैं”।
मोदी ने इसके बाद का भाषण हिंदी में दिया। करीब 15 मिनट तक अपने भाषण के अंत में उन्होंने एक बार फिर कश्मीरी भाषा का इस्तेमाल कर लोगों का मन मोह लिया। आखिरी में उन्होंने कहा, “तुहुंद सेठा शुक्रिया…रुज़ियो खोश ते खोशहाल…दीजीयो इजाज़त” जिसका मतलब है “आप सबका बेहद शुक्रिया…खुश और खुशहाल रहिये…अब इजाज़त दीजिये”।
तुस्स सब मंदिरों दे शहर जम्मू वासी किस्मत वाले ओ कि श्री माता वैष्णो देवी दे चरणा बिच रोआ करदे ओ’ यानी आप सबजम्मू वासी बहुत किस्मत वाले हैं कि श्री माता वैष्णो देवी के चरणों में रह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस डोगरी उद्बोधन से जम्मू विवि का जनरल जोरावर सिंह सभागार उत्साह से भर गया।
इसी तरह भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने डोगरी में कहा ‘मीगी यकीन ऐं माता रानी मीगी जल्दी फेर तुंदे कनै मिलने द मौका प्राप्त करोआग’ यानी मुझे यकीन है कि माता रानी जल्द ही फिर आपसे मिलने का मौका मुहैया करवाएंगी।
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