जयपुर। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने और कमेंट करने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसकी अवहेलना करने वालों को कार्रवाई के लिए तैयार रहना हाेगा। कार्मिक विभाग के शासन सचिव कृष्ण कांत पाठक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्मचारियों की ओर से प्रेस व सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत, अनर्गल आरोप और टिप्पणियां न की जाएं। अगर ऐसा करते हैं तो यह अखिल भारतीय सेवा नियम 1968 एवं राजस्थान सिविल सेवा नियम 1971 के खिलाफ होगा।
पाठक ने इस संबंध में सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस आदेश की कठोरता से पालना की जाए। आदेश में 12 अक्टूबर 2017 के पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें इसी तरह का आदेश जारी किया गया था।
पिछले दिनों कर्मचारी नेता शंभूसिंह मेड़तिया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने शिक्षा मंत्री के खिलाफ टिप्पणी की थी और जोधपुर में इसके पोस्टर लगवाए। इसको लेकर काफी बवाल मचा। इसके अलावा कुछ शिक्षक संगठन की ओर से आए दिन ज्ञापन देकर सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं। कुछ संगठन सोशल मीडिया पर भी आरोप लगाते हैं।
सरकारी कर्मचारियों की ओर से लगातार सरकार को निशाना बनाया जा रहा था। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कमेंट्स व प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सरकार के खिलाफ बयान दिए जा रहे थे। विशेष कर शिक्षक वर्ग में तबादला नहीं होने को लेकर काफी नाराजगी थी और इसी नाराजगी को सोशल मीडिया के जरिए व्यक्त की जा रही थी। इसी तरह से राजकीय कर्मचारी ओपीएस और एनपीएस विवाद पर बेबाक टिप्पणी सोशल मीडिया पर कर रहे थे। साथ ही वेतन विसंगति को लेकर एक धड़ा सोशल मीडिया पर ग्रुप चलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में तत्कालीन कार्मिक विभाग के शासन सचिव भास्कर ए सावंत ने यह आदेश जारी किया था। इसके बाद 2019 में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई और उक्त आदेश को यथावत रखा, लेकिन कांग्रेस सरकार ने उक्त आदेश को एक तरह से डेड कर दिया। यानि की आदेश अपनी जगह पर यथावत था। उस पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। इधर, एक बार फिर से भाजपा सत्ता में आई तो पुराना दबा हुआ आदेश बाहर आ गया है।
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