लखनऊ। सपा की ओर से 325 प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद एक ओर जहां पार्टी में घमासान मचा है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के खेमें में भी हलचल है। सपा-कांग्रेस गठबन्धन की अटकलें बेहद जोरों पर थीं।
कहा जा रहा था कि दोनों पक्षों में बात बन भी गयी है और सिर्फ सीटों की संख्या को लेकर बात फाइनल होनी है।मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दिए बयान भी इस बात की ओर इशारा कर रहे थे, लेकिन सपा की सूची ने इन सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
हालांकि पार्टी मुखिया मुलायम के गठबन्धन से साफ इनकार के बाद भी जिस तरह से 78 सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं, उससे कयास लगाये जा रहे थे, कि इन सीटों पर कांग्रेस से उसकी बात हो सकती है, लेकिन सपा की 325 प्रत्याशियों की सूची में 21 ऐसी सीटें भी हैं, जहां पर कांग्रेस ने वर्ष 2012 में जीत हासिल की थी। इसलिए अब पूरा मामला उलझता नजर आ रहा है।
कांग्रेस की बीते विधानसभा चुनाव में जीती सीटों पर नजर डालें तो बुलंदशहर की खुर्जा सीट से रवींद्र बाल्मीकि को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि यहां से बंशी सिंह पहाड़िया कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं।
इसी तरह मथुरा से पार्टी ने डॉ. अशोक अग्रवाल को दिया टिकट दिया है, जबकि यहां से प्रदीप माथुर कांग्रेस के विधायक हैं। वह पार्टी विधानमण्डल दल के नेता भी हैं। इसी तरह कांग्रेस के लिए अतिमहत्वपूर्ण मानी जाने वाली अमेठी में जगदीशपुर से सपा ने अजीत प्रसाद पर अपना भरोसा जताया है। यहां से राधेश्याम कनौजिया कांग्रेस विधायक हैं।
कुशीनगर की खड्डा सीट से नथुनी प्रसाद कुशवाहा को सपा ने टिकट दिया है, जबकि विजय कुमार दुबे यहां से कांग्रेस विधायक हैं। कुशीनगर की तमकुहीराज सीट से पीके राय को सपा ने प्रत्याशी बनाया है, यहां से अजय कुमार लल्लू कांग्रेस विधायक हैं। इसी तरह देवरिया की रूद्रपुर सीट से अनुग्रह नारायण सिंह सपा प्रत्याशी है, जबकि अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं।
जौनपुर सदर सीट से जावीद सिद्दीकी को सपा का टिकट दिया गया है, यहां से मो. नदीम जावेद कांग्रेस विधायक हैं। वाराणसी के पिंड्रा से रामबालक सिंह पटेल को सपा का टिकट मिला है, यहां से कांग्रेस के चर्चित अजय राय विधायक हैं। मिर्जापुर की मड़िहान से सुरेंद्र कुमार सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया गया है, इस सीट पर भी कांग्रेस का कब्जा है और ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस विधायक हैं। सोनभद्र की दुद्धी सीट से रूबी प्रसाद को सपा का टिकट दिया है, जबकि यहां से रूबी प्रसाद कांग्रेस की वर्तमान विधायक हैं।
कानपुर किदवईनगर से ओम प्रकाश मिश्र सपा प्रत्याशी बनाए गए है, इस सीट पर अजय कपूर कांग्रेस विधायक हैं। हमीरपुर की राठ से सपा ने अंबेश कुमार को टिकट दिया है, गयादीन अनुरागी यहां से कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं।
बांदा के तिंदवारी से शकुंतला निषाद सपा प्रत्याशी हैं, इस सीट पर दलजीत सिंह कांग्रेस विधायक हैं।बांदा सदर से हसनुद्दीन सिद्दीकी सपा प्रत्याशी हैं, जबकि विवेक कुमार सिंह कांग्रेस एमएल हैं। इलाहाबाद उत्तरी से लल्लन राय साइकिल चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे, वहीं मौजूदा समय में अनुग्रह नारायण सिंह हैं कांग्रेस विधायक हैं।
बहराइच की नानपारा सीट से जयशंकर सिंह को सपा का टिकट दिया है, यहां से माधुरी वर्मा कांग्रेस विधायक हैं। बहराइच की ही पयागपुर सीट से मुकेश श्रीवास्तव पर पार्टी ने अपना भरोस जताया है, जबकि यहां से मुकेश श्रीवास्तव कांग्रेस के मौजूदा एमएलए हैं।
लखनऊ की कैंट सीट से मुलायम की छोटी बहु अपर्णा यादव पार्टी प्रत्याशी हैं, जबकि यहां से कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी विधायक हैं। वर्तमान में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुकी हैं। इसी तरह शामली विधानसभा से मनीष कुमार चैहान सपा उम्मीदवार हैं, जकि यहां से कांग्रेस के पंकज कुमार मलिक विधायक हैं।
रामपुर की स्वार सीट से अब्दुल्ला आजम को सपा ने प्रत्याशी बनाया है, इस सीट से कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान विधायक हैं। रामपुर बिलासपुर सीट से सपा ने बीना भारद्वाज को दिया टिकट
है, यहां से कांग्रेस के संजय कपूर सिटिंग एमएलए हैं।
इस तरह सपा की सूची ने कांग्रेस के सारे समीकरण ही गड़बड़ा कर दिए हैं। हालांकि पार्टी की ओर से सपा से गठबन्धन को सिर्फ मीडिया की उपज कहा जा रहा है, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पूरी जनसभाओं में अभी तक भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ही हमलावर रहे हैं, उससे साफ था कि पार्टी का सपा को लेकर रवैया मुलायम है।
वहीं अब कांग्रेस प्रवक्ता वीरेंद्र मदान बदले हुए सियासी माहौल में कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी खुद अंतरकलह से जूझ रही है। मुलायम सिंह यादव ने जो अपने प्रत्याशियों की घोषणा की है, उसी को लेकर पिछले दो से ढाई महीने चल रही परिवार की लड़ाई बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि सियासी विश्लेषकों के मुताबिक मुलायम का यह सख्त कदम कांगे्रस के लिए नुकसानदायक है। पार्टी अगर अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ने का कदम उठाती है, तो उसको प्रत्याशी तलाशना तक मुश्किल हो सकता है।