नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की पैरोल अवधि छह फरवरी तक के लिए बढ़ा दी। हालांकि अदालत ने आगाह किया कि अगर सुब्रत रॉय ने छह फरवरी तक 600 करोड़ रुपये जमा नहीं कराए तो उन्हें वापस जेल जाना होगा।
चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सहारा प्रमुख की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद यह निर्देश दिया। पीठ ने पहले समूह से बाजार नियामक सेबी के पास दो माह में एक हजार करोड़ रुपये जमा कराने को कहा था। लेकिन बाद में इसे 600 करोड़ रुपये कर दिया।
सहारा प्रमुख की पैरोल अवधि 28 नवंबर को समाप्त हो रही थी। उन्हें इसके लिए 200 करोड़ रुपये जमा कराने पड़े थे। सुब्रत रॉय अपनी मां के निधन के बाद पैरोल पर जेल से बाहर आए थे, उसके बाद न्यायालय उनकी अंतरिम जमानत लगातार बढ़ाता रहा है।
रिसीवर नियुक्ति पर विचार
खंडपीठ ने यह भी कहा कि वह अगर निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए समूह परिसंपत्तियों बेचने में नाकाम रहा तो वह इसके लिए रिसीवर की नियुक्ति पर विचार कर सकती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह किसी शख्स को इस तरह जेल में रखना नहीं चाहती। सिब्बल ने कहा कि 11 हजार करोड़ जमा कराए जा चुके हैं और 11,036 करोड़ बाकी है। हालांकि सेबी के अनुसार, बकाया राशि 14 हजार करोड़ रुपये हैं।
वकील से जवाब मांगा
सिब्बल ने कहा कि समूह ने अदालत के पहले के निर्देश के अनुसार पहले रकम जमा कराई थी और भुगतान की नई योजना दाखिल की है। पीठ ने इसके बाद सेबी के वकील अरविंद दातार और न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर देशपांडे से अपना जवाब दाखिल करने को कहा। अदालत ने दोनों से यह बताने को कहा कि क्या समूह पुनर्भुगतान योजना में बदलाव करने का लाभ पाने का हकदार है।
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