Sunday , November 24 2024
डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाला: पूर्व डीएम अभिषेक प्रकाश पर 20 करोड़ की अनियमितता के गंभीर आरोप

डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाला: पूर्व डीएम अभिषेक प्रकाश पर 20 करोड़ की अनियमितता के गंभीर आरोप

लखनऊ के पूर्व डीएम और आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाले की जांच में दोषी पाया गया है। इस मामले में 20 करोड़ रुपये के मुआवजे का घोटाला हुआ, जिसमें अभिषेक प्रकाश और अन्य अधिकारी, जैसे तहसीलदार और कानूनगो, सांठगांठ में शामिल थे। यह घोटाला भटगांव में हुआ, जहां अफसरों ने सरकारी पट्टे की जमीन पर मुआवजा उठाया। राजस्व परिषद के चेयरमैन द्वारा की गई जांच में इन अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है। मामले में अभिषेक प्रकाश के करीबी अधिकारी जितेंद्र सिंह की भी भागीदारी सामने आई है।

घोटाले के मुख्य बिंदु:

  1. घोटाले का स्थान और भूमि अधिग्रहण

डिफेंस कॉरिडोर, भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। लखनऊ के सरोजिनीनगर तहसील के भटगांव क्षेत्र में जमीन का अधिग्रहण इसी परियोजना का हिस्सा था। यह घोटाला अधिग्रहीत भूमि के मुआवजे से संबंधित है, जिसमें अधिकारियों ने सरकारी योजना का दुरुपयोग किया।

  1. 20 करोड़ रुपये का मुआवजा गबन

जांच में पाया गया कि भूमि अधिग्रहण के दौरान 20 करोड़ रुपये का मुआवजा अधिकारियों ने अवैध तरीके से प्राप्त किया। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, यह मुआवजा उन किसानों और जमीन मालिकों को दिया जाना था, जिनकी भूमि अधिग्रहीत की गई थी, लेकिन इसकी जगह अफसरों ने गड़बड़ी करके खुद मुआवजे की रकम उठा ली।

  1. अभिषेक प्रकाश की संलिप्तता

लखनऊ के तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश की भूमिका पर सवाल उठे हैं, क्योंकि उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों की मिलीभगत को नजरअंदाज किया। जांच में सामने आया कि उनके करीबी अधिकारी, तहसीलदार और कानूनगो जितेंद्र सिंह इस घोटाले में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे। जितेंद्र सिंह, जो कि सरोजिनीनगर का कानूनगो था, पर आरोप है कि उसने इस पूरी साजिश को अंजाम दिया और मुआवजे की राशि हड़प ली।

  1. राजस्व परिषद की जांच रिपोर्ट

राजस्व परिषद के चेयरमैन की अगुवाई में इस मामले की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि जमीन के अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। रिपोर्ट के अनुसार, मुआवजे की रकम उन जमीनों पर दी गई, जो पहले से ही पट्टे पर थीं और जिन्हें कानूनी रूप से मुआवजा नहीं मिलना चाहिए था। अभिषेक प्रकाश की जिम्मेदारी थी कि वह इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करते, लेकिन उन्होंने अनदेखी की या फिर जानबूझकर इस भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे।

  1. कानूनी कार्रवाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम

इस घोटाले के उजागर होने के बाद लखनऊ प्रशासन और सरकार पर भ्रष्टाचार विरोधी कड़ी कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। अभिषेक प्रकाश और अन्य अधिकारियों के खिलाफ जल्द ही कानूनी कार्यवाही शुरू हो सकती है। वर्तमान सरकार ने भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, और इस घोटाले ने उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  1. मुआवजे में धांधली के परिणाम

इस 20 करोड़ रुपये की गबन का असर डिफेंस कॉरिडोर परियोजना पर पड़ा है। परियोजना में देरी और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण इसके क्रियान्वयन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। परियोजना में देरी होने से रोजगार के अवसरों और स्थानीय विकास पर भी असर पड़ सकता है।

यह घोटाला लखनऊ के प्रशासनिक तंत्र में गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, जिसमें उच्च पदस्थ अधिकारी भी शामिल पाए जा रहे हैं। अभिषेक प्रकाश की संलिप्तता से यह मामला और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि एक जिला अधिकारी की भूमिका क्षेत्र में पारदर्शी और जिम्मेदार प्रशासनिक कार्यवाही की निगरानी करना होता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और दोषियों के खिलाफ कितनी कड़ी कार्रवाई होती है।

यह घोटाला प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देता है। अब जनता की निगाहें सरकार की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com