“वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की संपूर्ण सर्वे की मांग को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत संरक्षित क्षेत्र में आगे के सर्वेक्षण की आवश्यकता नहीं मानी गई।”
वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के ऐतिहासिक मामले में वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष को बड़ा झटका दिया। अदालत ने 1991 में दायर मुकदमे में संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की मांग वाली हिंदू पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया है। इस फैसले के साथ ही मस्जिद परिसर के वजूखाना और तहखाना के सर्वेक्षण की मांग भी अदालत ने अस्वीकार कर दी है।
अदालत ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा था फैसला
सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) युगुल शंभू की अदालत ने 19 अक्टूबर को हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद इस अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। इस मामले में हिंदू पक्ष के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर के वजूखाना समेत संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग की थी। उनका दावा था कि मस्जिद में शिवलिंग जैसे संरचनाएं और मंदिर से संबंधित कई सबूत हैं, जो केवल विस्तृत सर्वेक्षण से सामने आ सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए खारिज की गई अर्जी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा किए गए सर्वे का शेष हिस्सा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत संरक्षित है, और इस मामले में आगे के सर्वेक्षण की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि हिंदू पक्ष ने संपूर्ण सर्वेक्षण की मांग के समर्थन में कोई ठोस कारण प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए इस मामले में आगे का सर्वेक्षण आवश्यक नहीं माना गया।
हिंदू पक्ष ने संपूर्ण सर्वे की मांग पर क्या तर्क दिया?
हिंदू पक्ष की ओर से पिछली सुनवाई में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने दलील दी थी कि पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट ने संपूर्ण सर्वे का आदेश दिया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने तब उस आपत्ति को खारिज करते हुए लोअर कोर्ट को त्वरित सुनवाई का निर्देश दिया था। रस्तोगी का कहना था कि ज्ञानवापी परिसर में कई धार्मिक धरोहरें हैं, जो केवल संपूर्ण सर्वेक्षण के जरिए स्पष्ट हो सकती हैं।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ वजूखाना को सील करने का आदेश दिया था, सर्वे पर रोक नहीं लगाई थी। रस्तोगी ने सेंट्रल गुंबद के नीचे शिवलिंग जैसी संरचना का भी जिक्र किया, जिसे देखने के लिए तहखाना सर्वे की जरूरत बताई गई थी।
मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत के समक्ष अपनी दलीलें पेश कीं। उनका कहना था कि एएसआई द्वारा पहले ही सर्वेक्षण किया जा चुका है और अब अतिरिक्त सर्वे की जरूरत नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के एक आदेश में स्पष्ट किया है कि अब ज्ञानवापी में किसी भी प्रकार का कार्य केवल अनुमति के साथ ही किया जा सकता है। इसी के आधार पर अदालत से अपील की गई थी कि संपूर्ण सर्वेक्षण की मांग खारिज कर दी जाए।
अदालत का अंतिम निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्तमान परिस्थितियों में संपूर्ण सर्वे की आवश्यकता नहीं है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा संरक्षित किए गए स्थान पर किसी भी प्रकार का कार्य उसके निर्देशों के बिना नहीं हो सकता।
इस फैसले का महत्व
अदालत का यह फैसला वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 1991 से लंबित इस मामले में हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के संपूर्ण सर्वे की मांग की थी। अदालत ने यह कहते हुए इस मांग को खारिज कर दिया कि पहले ही एएसआई द्वारा आवश्यक सर्वेक्षण हो चुका है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार संरक्षित स्थान को छेड़ना अवैध है।
यह फैसला ज्ञानवापी मामले में एक अहम मोड़ ला सकता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार संरक्षित क्षेत्र में सर्वेक्षण की आवश्यकता नहीं है, जिससे विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की संभावना बढ़ी।