वर्ष 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और इसके बाद हुए बहिबलकलां गोलीकांड मामले में मोगा के पूर्व SSP चरणजीत सिंह को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने गिरफ्तार किया है। चरणजीत सिंह को रविवार तड़के 4.30 बजे उनके घर से गिरफ्तार किया गया। उनसे अमृतसर में पूछताछ की जा रही है। चरणजीत सिंह का बेअदबी कांड में नाम आया था। गत सप्ताह दिए गए हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह कार्रवाई की गई है। वह कई बार समन किए जाने के बावजूद SIT के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे। वहीं एसआइटी ने तत्कालीन थाना बाजाखाना प्रभारी अमरजीत सिंह कुलार के फरीदकोट स्थित आवास पर भी छापा मारा, लेकिन कुलार घर पर नहीं मिले।
अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत में आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह ने बताया कि अक्टूबर 2015 में बहिबल कलां गोलीकांड में पूर्व SSP को आरोपित बनाया गया है। पुलिस की गोलियां लगने से दो युवकों की मौत हो गई थी। कुंवर विजय प्रताप के अनुसार पूर्व SSP यहां से किसी अन्य देश में भागने की फिराक में था। उसके पास अमेरिका, इंग्लैंड और कनाडा का वीजा पहुंच चुका था। SIT की दबिश की दौरान चरणजीत सिंह ने फरार होने का प्रयास भी किया। लेकिन, SIT ने उसे दबोच दिया। आरोपित पूर्व एसएसपी के चोटिल होने की भी सूचना है।
अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत करते आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह।
बता दें, हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और इसके बाद हुए बहिबलकलां गोलीकांड मामले में आरोपित पुलिस अफसरों के खिलाफ SIT जांच की मंजूरी दी थी। पंजाब विधानसभा ने इन मामलों की जांच सीबीआइ से वापस लेकर SIT को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया था। इससे सहमति दिखाते हुए हाई कोर्ट ने जांच वापस लेने के खिलाफ दायर पुलिस अफसरों की याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
इन मामलों की जांच के लिए कैप्टन सरकार ने 30 जून, 2018 को रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह के नेतृत्व में आयोग का गठन किया था। कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को भी सही ठहराया है। इससे पहले 29 जून, 2016 को शिअद-भाजपा सरकार में गठित जस्टिस जोरा सिंह आयोग का भी गठन किया गया था।
इन दोनों आयोगों की रिपोर्ट के खिलाफ पुलिस अफसरों ने याचिका दायर की थी। रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को सिर्फ सरकार को दिए गए निर्देश मानते हुए जस्टिस राजन गुप्ता ने कहा कि अगर निष्पक्ष जांच की जाती है तो आयोग की सिफारिशों के आधार पर किसी से पक्षपात होने की संभावना नहीं है।
जस्टिस गुप्ता ने कहा कि SIT बिना किसी अंदरूनी या बाहरी दबाव के अपनी जांच को आगे बढ़ाए। SIT को आयोगों की रिपोर्टों के प्रभाव से हटकर जांच करने के आदेश दिए गए। जस्टिस गुप्ता ने जांच पर अदालत की निगरानी की पंजाब सरकार की पेशकश को भी अस्वीकार कर दिया।
पहले सही जांच होती तो आयोग न बनाना पड़ता
SIT के गठन से पहले की जांच पर हाई कोर्ट ने सवाल उठाया। जस्टिस राजन गुप्ता ने कहा कि अगर जांच सही दिशा में की गई होती तो जांच आयोग की जरूरत नहीं पड़ती। यह पेशेवर एजेंसी से जांच के मामले थे।
यह है मामला
12 अक्टूबर, 2015 को फरीदकोट जिले के बरगाड़ी गांव में श्री गुरुग्रंथ साहिब के अंग फाड़कर गलियों में फेंक दिए गए। इसके विरोध में सिखों ने प्रदर्शन किया। 14 अक्टूबर, 2015 को कोटकपूरा के बहिबलकलां में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी, जिसमें दो युवकों की मौत हो गई। इसके बाद बादल सरकार ने जस्टिस जोरा सिंह आयोग का गठन किया, लेकिन इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। इसके बाद कैप्टन ने आयोग जस्टिस रंजीत सिंह आयोग बनाया और रिपोर्ट विधानसभा में पेश की।
आयोग ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी। पंजाब सरकार ने जांच सीबीआइ से वापस लेकर SIT से कराने का प्रस्ताव पास किया था। मोगा के रिटायर्ड SSP चरणजीत शर्मा, रिटायर्ड SSP मानसा रघुबीर सिंह, बाजाखाना के तत्कालीन एसएचओ अमरजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंजाब सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी।
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