लखनऊ। प्रदेशभर में डॉक्टरों की गैरहाजिरी और अवकाश स्वीकृति के बिना ड्यूटी से गायब रहने की बढ़ती घटनाओं पर स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बिना अवकाश स्वीकृति के गायब रहने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा, जो सीएमओ और सीएमएस अपने अधीनस्थ डॉक्टरों की गैरहाजिरी की रिपोर्ट नहीं भेजेंगे, उनके खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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गायब डॉक्टरों से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
प्रदेश के विभिन्न जिलों से शिकायतें मिली हैं कि कई चिकित्सक अपने सक्षम अधिकारी से अवकाश स्वीकृत कराए बिना ही अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं। इसके कारण अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, और मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है। प्रमुख सचिव ने इस गंभीर मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें।
अस्पतालों में सेवाएं बन रही हैं अस्थिर
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डॉक्टरों की गैरहाजिरी के मामलों में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। कई अस्पतालों में डॉक्टरों के अनुपस्थित रहने की रिपोर्ट भेजी ही नहीं जाती। इसके कारण अस्पतालों की सेवाएं अस्थिर हो गई हैं, और कई अस्पताल तो नियमित रूप से बंद रहते हैं, जिससे मरीजों को दिक्कतें होती हैं।
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आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कदम
पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि अब अस्पतालों को छोड़कर बिना स्वीकृत अवकाश के डॉक्टरों की गैरहाजिरी को गंभीरता से लिया जाएगा। सीएमओ और सीएमएस को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अधीनस्थ डॉक्टरों की उपस्थिति की निगरानी रखें और किसी भी गैरहाजिरी की रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को समय पर भेजें। यदि कोई डॉक्टर बिना उचित कारण के गायब पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई
यह निर्देश सभी जिलों के सीएमओ और सीएमएस को भेजे गए हैं, ताकि वे सुनिश्चित कर सकें कि उनके अधीन काम करने वाले डॉक्टरों की उपस्थिति सही तरीके से दर्ज हो और गैरहाजिरी की किसी भी घटना को समय पर रिपोर्ट किया जाए। साथ ही, डॉक्टरों के गायब होने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में आ रही रुकावटों को भी समाप्त किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह कदम उठाया गया है ताकि राज्यभर में चिकित्सा सेवाएं सुचारु रूप से चल सकें और मरीजों को कोई कठिनाई न हो। विभाग का मानना है कि अगर यह कार्रवाई प्रभावी रूप से लागू की जाती है, तो चिकित्सा सेवाओं में सुधार होगा और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।