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एकनाथ शिंदे बैग चेकिंग

महाराष्ट्र में चुनाव आयोग की सख्ती, शिंदे से लेकर उद्धव तक, नेताओं के बैग की जांच पर सियासत गरमाई

दरअसल, इससे पहले 11 और 12 नवंबर को उद्धव ठाकरे के सामान की भी जांच हुई थी। उद्धव ने इसे लेकर विरोध जताते हुए कहा था, “मेरा बैग चेक कर लो, चाहे तो मेरा यूरिन पॉट भी चेक कर लो।” उद्धव ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि प्रधानमंत्री मोदी के बैग की भी जांच होनी चाहिए। उद्धव का कहना था कि निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सिर्फ विपक्षी नेताओं के सामान की नहीं, बल्कि सत्ताधारी नेताओं के सामान की भी जांच होनी चाहिए।

महाराष्ट्र चुनाव में चुनाव आयोग की सख्ती सिर्फ उद्धव और शिंदे पर ही नहीं रुकी। बुधवार को पुणे में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के हेलिकॉप्टर की भी जांच की गई। इसी तरह 12 नवंबर को लातूर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बैग की चेकिंग हुई। पिछले दिनों महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के हेलिकॉप्टर की भी इसी तरह जांच की गई थी।

बीजेपी ने फडणवीस के बैग की जांच का वीडियो भी जारी किया है। फडणवीस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मेरे बैग की भी जांच हुई, इसमें गलत क्या है? चुनाव प्रचार के दौरान सभी नेताओं की सुरक्षा जांच होनी चाहिए, इससे चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष रहती है।”

NCP नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी चुनाव आयोग की चेकिंग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “चुनाव प्रचार के दौरान मेरे बैग की भी चेकिंग हुई। चुनाव आयोग के अधिकारी सुरक्षा को लेकर कड़ी सतर्कता बरत रहे हैं, जो निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है। हमें सभी को कानून का सम्मान करना चाहिए।”

हालांकि, उद्धव ठाकरे इस मुद्दे को लेकर अब भी नाराज हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि सिर्फ विपक्ष के नेताओं के सामान की जांच करना चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है। उद्धव ने मांग की कि यदि विपक्षी नेताओं के बैग की चेकिंग की जा रही है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं के सामान की भी जांच होनी चाहिए।

महाराष्ट्र चुनाव में इस बार चुनाव आयोग की कड़ी सख्ती और नेताओं के सामान की जांच पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग चुनाव आयोग की सख्ती को सकारात्मक कदम मानते हैं, जो चुनाव को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है, जबकि कुछ इसे राजनीतिक ड्रामा समझते हैं।

चुनाव आयोग की सख्त कार्रवाई से महाराष्ट्र चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता की दिशा में एक मजबूत संदेश जा रहा है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चुनाव प्रचार में और क्या-क्या मोड़ आते हैं और जनता किसे समर्थन देती है।

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