“सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स सिंडिकेट के आरोपी की जमानत खारिज करते हुए ‘नारकोस’ और ‘ब्रेकिंग बैड’ का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा, ये सिंडिकेट युवाओं को बर्बाद कर रहे हैं।”
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ड्रग्स के आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान प्रसिद्ध वेब सीरीज नार्कोस और ब्रेकिंग बैड का उल्लेख किया। बेंच ने कहा कि ड्रग्स सिंडिकेट देश के युवाओं को बर्बाद कर रहे हैं।
वेब सीरीज का संदर्भ क्यों दिया गया?
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दलील दी कि एनडीपीएस के तहत गिरफ्तार आरोपी समाज के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, “ड्रग्स सिंडिकेट देश के युवाओं को खत्म कर रहे हैं। नार्कोस और ब्रेकिंग बैड में दिखाया गया है कि ऐसे संगठित अपराधियों का मुकाबला करना कितना मुश्किल है।”
आरोपी को अप्रैल 2024 में 73.80 ग्राम स्मैक (हेरोइन) के साथ गिरफ्तार किया गया था।
नार्कोस और ब्रेकिंग बैड का उल्लेख
- नार्कोस: यह वेब सीरीज कोलंबिया के ड्रग्स पैडलर पाब्लो एस्कोबार की कहानी पर आधारित है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे पाब्लो ने ड्रग्स के कारोबार से अरबों कमाए और कानून से बचता रहा।
- ब्रेकिंग बैड: यह वेब सीरीज वॉल्टर व्हाइट नामक हाई स्कूल शिक्षक की कहानी है, जो कैंसर का इलाज कराने के लिए ड्रग्स का कारोबार शुरू करता है, लेकिन बाद में लालच में डूब जाता है।
युवाओं के लिए खतरा
खंडपीठ ने कहा कि ड्रग्स तस्करी जैसे मामलों में जमानत देने से गलत संदेश जाएगा। “ऐसे सिंडिकेट युवाओं को बर्बाद कर रहे हैं। इन्हें रोकना बेहद जरूरी है।”
POSH एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर को सभी राज्यों को आदेश दिया कि वे कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) का गठन करें। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि “POSH एक्ट 2013 के लागू होने के बाद भी इसकी अनदेखी चिंताजनक है। यह राज्यों और सार्वजनिक संस्थानों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।”
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल