हरदोई । शाहाबाद कस्बे में आयोजित रामलीला के मार्मिक दृश्य का वर्णन किया गया है, जहां राम वनवास, केवट संवाद, दशरथ के मरण और भरत के चित्रकूट गमन के दृश्य मंचित किए गए। इन दृश्यों ने दर्शकों, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों के हृदय को गहराई से छू लिया। राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास जाने के समय, अयोध्या के वातावरण में छाई व्याकुलता ने दर्शकों को भावुक कर दिया, और कई दर्शकों की आँखों से आँसू छलक आए।
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केवट द्वारा राम के पैर धोने की जिद, सुमंत द्वारा अयोध्या लौटने के बाद दशरथ को राम के वनवास की खबर सुनाना और पुत्र वियोग में दशरथ का मरण—इन घटनाओं ने मंचन के दौरान पूरे मेला मैदान में एक मार्मिक वातावरण पैदा किया। दर्शकगण, विशेषकर वृद्ध पुरुष, दशरथ के मरण दृश्य से अत्यंत व्यथित दिखे, जैसे वे अपने निजी अनुभवों और भावनाओं से जुड़ गए हों।
इस रामलीला आयोजन में दर्शकों के बीच महिलाओं की बड़ी संख्या थी, लेकिन मेला स्थल पर महिला पुलिस की अनुपस्थिति को एक प्रमुख समस्या के रूप में देखा गया। मेला समिति ने हालांकि भीड़ को नियंत्रित करने में सक्षम रही, फिर भी महिला सुरक्षा के संदर्भ में पुलिस की ओर से लापरवाही स्पष्ट रूप से नजर आई।
इस प्रकार, रामलीला के भावनात्मक दृश्य ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाया, बल्कि समाज में सुरक्षा व्यवस्था की कमियों की ओर भी इशारा किया।