लॉस एंजलिस। फिल्मों को दर्शक दो नज़रियों से आँकता है अच्छी फिल्में और बेकार फिल्में इन दो फिल्मों के बीच एक तीसरी फिल्म होती है जिसे डिसटर्बिंग फिल्म कहते है इन फिल्मों में सेक्शुअलिटी, वॉयलेंस और बर्बरता की भरमार देखने को मिलती है, लेकिन इमोशन्स का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहता। हॉलीवुड की ये है कुछ डिसटर्बिंग फिल्में…
एंटीक्राइस्ट (2009) यह फिल्म डेनमार्क की है और इसके डायरेक्टर लार्स वॉन ट्रायर है। फिल्म सेडनैस से भरी है। फिल्म में एक कपल के बीच कई वॉयलेंट सेक्शुअल सीन्स को दिखाया गया है जो कि उनके इकलौते बच्चे की डेथ के बाद होते हैं।
ग्रोटेस्क्यू (2009) यह फिल्म जापान की है और इसके डायरेक्टर कोजी सिरेयसी हैं। फिल्म में एक कपल अपनी पहली डेट पर पागल आदमी के जाल में फंस जाता है। जो उन्हें किडनैप कर बुरी तरह प्रताड़ित करता है।
इन माय स्किन (2002) इस फिल्म के डायरेक्टर मरीना डे वन का है और यह फ्रांस की है। फिल्म ‘इन माय स्किन’ एक महिला की कहानी है, जो अपनी मानसिक शांति के लिए खुद को हर्ट करती है।
ऐसी ही कई फिल्में है जिनका इमोशन्स का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। जैसे की फिल्म डैड गर्ल (2008), द ह्यूमन सेंटीपीड (2009), आफ्टरमैथ (2014), नैकरोमेन्टिक (2014), सलो ऑर द 120 डेज ऑफ सदोम (1976), बिगोटन (1991) इत्यादि।
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