“उत्तर प्रदेश में ‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मत्स्य पालन की नई तकनीकों और जलाशयों में केज कल्चर के महत्व पर चर्चा की गई। मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए नवीनतम विधियों की जानकारी दी, जबकि प्रगतिशील मत्स्य पालकों को सम्मानित किया गया।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग ने आज विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर चौधरी चरण सिंह सभागार, सहकारिता भवन लखनऊ में एक भव्य समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने मत्स्य पालन में नई तकनीकियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा कि “केज कल्चर” मछली के गहन उत्पादन के लिए एक उभरती हुई तकनीक है, जो जलाशयों में पंगेशियस और गिफ्ट तिलपिया जैसे मत्स्य प्रजातियों के पालन के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि कर सकती है।
समारोह में प्रमुख सचिव मत्स्य श्री के. रवीन्द्र नायक ने प्रदेश में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से दिए जा रहे नए प्रशिक्षण और संसाधनों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जलाशयों के ठेकेदारों और मत्स्य पालकों को नवीनतम तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे प्रदेश का मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाई जा सके।
इसके अलावा, कार्यक्रम में मत्स्य पालकों के लिए विभिन्न योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषादराज बोट सब्सिडी योजना और मछुआ दुर्घटना बीमा योजना के लाभों के बारे में भी बताया गया। मंत्री जी ने कार्यक्रम के दौरान 16 प्रगतिशील मत्स्य पालकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया और उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी।
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