नई दिल्ली। केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पेयजल व स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि केंद्र सरकार महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने में पूरी तरह से जुटी हुई है।
शुक्रवार को देशभर के स्व-सहायता समूहों में अच्छा काम करने वाले 30 समूहों को एक-एक लाख और 10 ग्रामीण संगठनों को दो-दो लाख रुपये का पुरस्कार देने के बाद तोमर ने महिला प्रतिनिधियों से गांव के समग्र विकास में योगदान देने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े तमाम मामलों में वे अपने गांव की अगुवाई करें क्योंकि उन्होंने बेहतर प्रशिक्षण लिया हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह का यह पहला कार्यक्रम है, लेकिन स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने का काम अब लगातार किया जाएगा।
तोमर ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय आजीविका अभियान प्रधानमंत्री की अति महत्वकांक्षी योजना है जिसका मकसद विकास का क्रम समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति से शुरू करना है।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने ऐसा किया होता तो आज अमीरी-गरीबी की खाई इतनी नहीं होती। गांवों का समग्र विकास होता और गरीबी-बेरोजगारी के कारण गांवों से पलायन भी नहीं होता।
तोमर ने कहा कि देश के 3200 ब्लॉकों में 29 लाख महिला स्व-सहायता समूह काम कर रहे हैं और इनसे 3.4 करोड़ महिलाएं जुड़ी हैं। इनपर केंद्र सरकार हर साल 3000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
बैंकों ने भी इन समूहों को 30,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज दिया है। इन समूहों के उत्पादन को बेहतर बाजार और उचित मूल्य मिले, इसके लिए जल्दी ही दिल्ली में एक विशेष और अब तक के सबसे बड़े हाट का आयोजन किया जाएगा और इसमें सभी समूहों को बुलाया जाएगा।
इस मौके पर केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। अच्छा काम करने वाले स्व-सहायता समूहों को पुरस्कृत करना इसी दिशा में एक कदम है।
उन्होंने बैंकों से भी अपील की कि इन समूहों को कर्ज देने में ज्यादा उदारता दिखाएं। ग्रामीण विकास सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा कि 2019 तक एक करोड़ घरों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।