वॉशिंगटन । अमेरिका के एक कद्दावर सांसद ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को नए सिरे से तय करने की मांग करते हुए कांग्रेस में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अमेरिकी सरकार से पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने की मांग की गई है।
सदन की आतंकवाद संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष टेड पो ने निचले सदन हाउस ऑफ रेप्रिज़ेंटटिव में गुरुवार को ‘पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररेजम ऐक्ट (HR 1449) पेश किया।
विधेयक पेश करते हुए पो ने कहा, ‘पाकिस्तान न सिर्फ एक गैरभरोसेमंद सहयोगी है बल्कि इस्लामाबाद ने वर्षों तक अमेरिका के कट्टर दुश्मनों की सहायता भी की।
‘ उन्होंने कहा, ‘ओसामा बिन लादेन को आश्रय देने से ले कर हक्कानी नेटवर्क के साथ उसके नजदीकी रिश्तों तक, इस बात के पर्याप्त से भी अधिक प्रमाण हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान किसके साथ है।’
अमेरिकी सांसद ने कहा, ‘यही वक्त है जब हमें पाकिस्तान को उसकी धोखाधड़ी के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए और उसे वह नाम देना चाहिए जो वह है (आतंकवाद का प्रायोजक देश)।
विधेयक में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से 90 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट जारी कर यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में सहयोग दिया है। इसके 30 दिन के बाद विदेश मंत्री से इस संकल्प वाली फॉलो-अप रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा जाए कि पाकिस्तान ‘आतंकवाद का प्रायोजक देश’ है।
पाकिस्तान के आतंक से सबसे ज्यादा पीड़ित भारत है अमेरिका करे या न करे पर भारत को चाहे की सबसे पहले वो पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करे .. हमारे संसद मे भी एक प्राइवेट बिल पेश हो चुका है।
विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर पाकिस्तान को ‘आतंकवाद प्रायोजक देश’ नहीं ठहराया जाता है तो रिपोर्ट में यह विस्तार से बताया जाए कि यह कौन से कानूनी पैमानों के तहत किया गया।
इसके अलावा द नैशनल इंट्रेस्ट मैग्जीन में पो ने जेम्स क्लाड के साथ संयुक्त रूप से पाकिस्तान के साथ संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने कर मांग की।
जेम्स जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन में रक्षा विभाग में उप सहायक मंत्री रह चुके हैं। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान के बर्ताव को बदलने के सारे प्रयास नाकाम हो चुके हैं और अब वक्त है कि अमेरिका खुद अपने दखल की सीमा को निर्धारित करे।
पो और क्लाड ने लिखा, ‘पाकिस्तान को लेकर हमारे विचारों में बदलाव जल्दी नहीं होगा लेकिन यह होना चाहिए खासतौर पर अमेरिका-भारत के संबंधों के संकेतकों को देखते हुए, जो कि बुश प्रसाशन के समय से लगातार सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं।
एक सोच बन गई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच हमेशा झगड़ा बना रहता है। यह अब पुरानी और अप्रासंगिक बात हो गई है और भारत के साथ भी हमारे अपने कुछ मुद्दे हैं।’
ऐसा पहली बार नहीं है जब अमेरिका में पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक देश ठहराने की मांग हुई है। इससे पहले बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते वाइट हाउस पर इस आशय का एक ऑनलाइन पिटिशन साइन किया गया था जिसे भारी समर्थन मिला था।
लेकिन ओबामा प्रशासन ने उस मांग को ठुकरा दिया था। अब अमेरिकी संसद में पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक देश ठहराए जाने के लिए प्रस्ताव पेश हुआ है।