इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू सीबीआई जांच में फंसे में कॉमर्स विभाग के शिक्षक प्रो. एसए अंसारी को संरक्षण दे रहे हैं। यह आरोप पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्र ने लगाया है। रोहित ने इविवि और संघटक कॉलेजों में चल रही शिक्षक भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है। हालांकि प्रो. एसए अंसारी का कहना है कि जिस मामले में सीबीआई जांच की बात हो रही है, उसमें वह दोषी नहीं हैं, बल्कि सीबीआई ने उन्हें अपना गवाह बनाया है। सीबीआई ने उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्र ने कुछ दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाया है कि नौ साल पहले लखनऊ कॉलेज फॉर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट का निरीक्षण करने वाली कमेटी में इविवि के प्रो. एसए अंसारी भी शामिल थे। कमेटी ने बिना किसी छानबीन के वहां एमबीए का कोर्स शुरू करने की मान्यता दे दी थी। बाद में सीबीआई जांच हुई तो यह मामला सामने आया कि कमेटी ने बिना छानबीन के मान्यता दे दी। एमबीए का कोर्स शुरू करने के लिए न कोई भवन था और न ही कहीं जमीन ली गई थी। प्रो. असांरी ने सीबीआई को दिए अपने बयान में माना था कि शिवगढ़ रिसॉर्ट में बैठकर बिना पड़ताल किए मान्यता दे दी गई। रोहित का दावा है कि अप्रैल में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के विजिलेंस विभाग से एक पत्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय को जारी किया गया था और रिपोर्ट मांगी थी गई ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
आरोप है कि मामले में कुलपति कार्रवाई करने के बजाय प्रो. अंसारी को संरक्षण दे रहे हैं। उन्हें कार्य परिषद का सदस्य नियुक्त कर रखा है और तकरीबन 14 कमेटियों का हेड भी बना रखा है। रजिस्ट्रार रहे कर्नल हितेश लव के मामले में जो जांच कमेटी बनी है, उसमें भी प्रो. अंसारी को शामिल किया गया है। इस मामले में प्रो. अंसारी का कहना है कि उन्होंने 28 मई 2014 को लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में गवाही दी थी। मामले में सीबीआई ने चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रखा है और इसमें उनका नाम शामिल नहीं है। उन्होंने सीबीआई के लिए गवाही दी है। वह दोषी नहीं हैं। उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत और पूरी तरह से गलत हैं। एमएचआरडी और विश्वविद्यालय के बीच क्या चल रहा है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal