देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगा है कि उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया है। विधानसभा के दो दिवसीय सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित स्थगित कर दिया गया है। जिसके बाद राष्ट्रगान नहीं हुआ। इस पर विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष पर परंपरा का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए देश से माफी मांगने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि सरकार द्वारा किए गए राष्ट्रगान का अपमान के लिए विधि सम्मत कार्रवाई करें। विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बृहस्पतिवार से शुरू हुआ था। शुक्रवार को इस सत्र का आखिरी दिन था।
सत्र के समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने यह कहा कि सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाता है। इसके बाद वह पीठ से उठकर चले गए। जबकि परंपरा यह रही है कि सत्र शुरू होने पर राष्ट्रगीत और सत्र की समाप्ति राष्ट्रगान होता है।
स्पीकर ने दी सफाई
दो दिवसीय सत्र बृहस्पतिवार को जब शुरू हुआ था तो राष्ट्रगीत हुआ था, लेकिन शुक्रवार को जब सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया तो राष्ट्रगान नहीं हुआ है। इसको लेकर विपक्ष ने सरकार व विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप लगाया है कि उन्होंने परंपरा का पालन नहीं करके राष्ट्रगान का अपमान किया है।
विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि जब सत्रावसान होता है तब राष्ट्रगान होता है। सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया है, इसलिए राष्ट्रगान नहीं कराया गया।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा
प्रकाश पंत ने इस मामले में कहा है कि यह परंपरा रही है कि सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते वक्त भी राष्ट्रगान होता है। सत्र का समय निर्धारित नहीं है इसलिए राष्ट्रगान होना चाहिए था। विधानसभा की परंपरा तोड़ी गई है जो उचित नहीं है।