नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने कम अवधि के फसल कर्ज पर 660.5 करोड़ के बकाया सूद को माफ करने का एलान किया है। ये माफी पिछले साल नवंबर और दिसंबर के सूद पर लागू होगी। सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों को इस घोषणा से फायदा होगा।
वहीं एक अन्य फैसले में कहा गया कि भारतीय प्रबंध संस्थान यानी आईआईएम जल्द ही अपने छात्रों को डिग्री भी मुहैया करा सकेंगे। इससे विश्व स्तर पर आईआईएम से पढ़े लोगों के लिए संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। सरकार ने आईआईएम विधेयक संसद में पेश करने का फैसला किया है।
किसानों के ब्याज माफी के फैसले का मकसद नोटबंदी की मार से जूझ रहे किसानों को रबी की फसल के लिए आसान फसल लोन दिलवाना है। इसके लिए सरकार नाबार्ड के जरिये सहकारी बैंकों को अतिरिक्त पैसा मुहैया करवाएगी। ब्याज माफी का फायदा सहकारी बैंक मौजूदा वित्तीय साल में भी किसानों को पहुंचाएंगे।
इस फैसले से सरकारी खजाने पर करीब 1060 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है। किसानों के लिए कर्ज पर ब्याज माफी के लिए साल 20016-17 में जारी किए गए 15 हजार करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।
वहीं आईआईएम विधेयक के कानून बनने के बाद सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि आईआईएम डिप्लोमा की जगह डिग्री दे सकेंगे। इससे विश्व स्तर पर आईआईएम की साख और बढ़ेगी। इसका फायदा अभी दस हजार से भी ज्यादा छात्रों को मिल सकता है जो इस समय विभिन्न आईआईएम में अलग-अलग पाठयक्रम पूरा करने में जुटे हैं।
वैसे तो सरकार ये हमेशा से कहती रही है कि आईआईएम को स्वायत्तता मिली हुई है लेकिन बीते वर्षों में कई ऐसे वाकये सामने आए जिसकी वजह से स्वायत्तता को लेकर सवाल उठे। फिलहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि विधेयक के कानून बनने के बाद ये बहस खत्म हो जाएगी।
फाइनेंशियल टाइम्स की सालाना ग्लोबल एमबीए रैंकिंग में दुनिया के 100 चुनिंदा बी स्कूल में आईआईएम अहमदाबाद 24 वें स्थान पर है जबकि आईआईएम बैंगलुरु 62 वें स्थान पर। आईआईएम को छोड़ बाकी भारतीय बी स्कूल में हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस 29 वें स्थान पर है।