Thursday , January 9 2025
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की आशंका गहराती जा रही है। निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था वाली चीन के ऊपर अमेरिका की ओर से 200 अरब डॉलर के सामान पर 10 फीसद आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) लगाने की हालिया घोषणा दोनों देशों के बीच नए सिरे से ट्रेड वार का आगाज कर सकती है। अमेरिका ने फिलहाल चीनी सामानों पर इस टैक्स का ऐलान नहीं किया है बल्कि उसने व्यापार विशेषज्ञों से उन चीनी उत्पादों की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है, जिन पर नए सिरे से इंपोर्ट ड्यूटी को लगाया जा सकता है। इससे पहले अमेरिकी प्रशासन 50 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 25 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी का ऐलान कर चुका है, जिसके जवाब में चीन ने भी अपने बाजार में बिकने वाले 50 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर समान टैक्स लगाए जाने की घोषणा की है। ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर चीनी इंपोर्ट ड्यूटी में दोबारा बढ़ोतरी करेगा तो अमेरिकी 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अतिरिक्त टैक्स लगाएगा। ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध एक तरह के ही होने चाहिए। ट्रंप का हालिया फैसला भले ही चीन के संदर्भ में लिया गया हो, लेकिन इससे दुनिया समेत भारतीय अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहेगी। अमेरिकी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का चीन के जवाबी फैसले से अमेरिका में महंगाई को भड़का सकता है और ऐसी स्थिति में मौद्रिक नीति के मोर्च पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का मौका मिलेगा। वैसे भी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हुए आने वाले दिनों में भी इसे और भी बढ़ाए जाने का संकेत दिया है। भारत के लिए ठीक नहीं होंगे हालात भारत के लिए यह स्थिति ठीक नहीं होगी। अमेरिकी बाजार में ब्याज दरों के बढ़ने की वजह से संस्थागत निवेशक बेहतर रिटर्न की आस में अपना निवेश भारतीय बाजार से निकालकर अमेरिका में लगाना शुरू करेंगे, जिससे यहां के शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी और नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की राह में ट्रेड वॉर की आशंका को सबसे बड़ी चुनौती मान चुका है।

चीन के खिलाफ ट्रंप की चेतावनी से तेज हुई ट्रेड वॉर की आशंका, भारत के लिए ठीक नहीं संकेत

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की आशंका गहराती जा रही है। निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था वाली चीन के ऊपर अमेरिका की ओर से 200 अरब डॉलर के सामान पर 10 फीसद आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) लगाने की हालिया घोषणा दोनों देशों के बीच नए सिरे से ट्रेड वार का आगाज कर सकती है।अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की आशंका गहराती जा रही है। निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था वाली चीन के ऊपर अमेरिका की ओर से 200 अरब डॉलर के सामान पर 10 फीसद आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) लगाने की हालिया घोषणा दोनों देशों के बीच नए सिरे से ट्रेड वार का आगाज कर सकती है।  अमेरिका ने फिलहाल चीनी सामानों पर इस टैक्स का ऐलान नहीं किया है बल्कि उसने व्यापार विशेषज्ञों से उन चीनी उत्पादों की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है, जिन पर नए सिरे से इंपोर्ट ड्यूटी को लगाया जा सकता है।  इससे पहले अमेरिकी प्रशासन 50 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 25 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी का ऐलान कर चुका है, जिसके जवाब में चीन ने भी अपने बाजार में बिकने वाले 50 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर समान टैक्स लगाए जाने की घोषणा की है।   ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर चीनी इंपोर्ट ड्यूटी में दोबारा बढ़ोतरी करेगा तो अमेरिकी 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अतिरिक्त टैक्स लगाएगा। ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध एक तरह के ही होने चाहिए।  ट्रंप का हालिया फैसला भले ही चीन के संदर्भ में लिया गया हो, लेकिन इससे दुनिया समेत भारतीय अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहेगी।  अमेरिकी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का चीन के जवाबी फैसले से अमेरिका में महंगाई को भड़का सकता है और ऐसी स्थिति में मौद्रिक नीति के मोर्च पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का मौका मिलेगा। वैसे भी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हुए आने वाले दिनों में भी इसे और भी बढ़ाए जाने का संकेत दिया है।  भारत के लिए ठीक नहीं होंगे हालात  भारत के लिए यह स्थिति ठीक नहीं होगी। अमेरिकी बाजार में ब्याज दरों के बढ़ने की वजह से संस्थागत निवेशक बेहतर रिटर्न की आस में अपना निवेश भारतीय बाजार से निकालकर अमेरिका में लगाना शुरू करेंगे, जिससे यहां के शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी और नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की राह में ट्रेड वॉर की आशंका को सबसे बड़ी चुनौती मान चुका है।

अमेरिका ने फिलहाल चीनी सामानों पर इस टैक्स का ऐलान नहीं किया है बल्कि उसने व्यापार विशेषज्ञों से उन चीनी उत्पादों की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है, जिन पर नए सिरे से इंपोर्ट ड्यूटी को लगाया जा सकता है।

इससे पहले अमेरिकी प्रशासन 50 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 25 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी का ऐलान कर चुका है, जिसके जवाब में चीन ने भी अपने बाजार में बिकने वाले 50 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर समान टैक्स लगाए जाने की घोषणा की है।

ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर चीनी इंपोर्ट ड्यूटी में दोबारा बढ़ोतरी करेगा तो अमेरिकी 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अतिरिक्त टैक्स लगाएगा। ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध एक तरह के ही होने चाहिए।

ट्रंप का हालिया फैसला भले ही चीन के संदर्भ में लिया गया हो, लेकिन इससे दुनिया समेत भारतीय अर्थव्यवस्था अछूती नहीं रहेगी।

अमेरिकी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का चीन के जवाबी फैसले से अमेरिका में महंगाई को भड़का सकता है और ऐसी स्थिति में मौद्रिक नीति के मोर्च पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में बढ़ोतरी का मौका मिलेगा। वैसे भी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हुए आने वाले दिनों में भी इसे और भी बढ़ाए जाने का संकेत दिया है।

भारत के लिए ठीक नहीं होंगे हालात

भारत के लिए यह स्थिति ठीक नहीं होगी। अमेरिकी बाजार में ब्याज दरों के बढ़ने की वजह से संस्थागत निवेशक बेहतर रिटर्न की आस में अपना निवेश भारतीय बाजार से निकालकर अमेरिका में लगाना शुरू करेंगे, जिससे यहां के शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी और नुकसान निवेशकों को उठाना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की राह में ट्रेड वॉर की आशंका को सबसे बड़ी चुनौती मान चुका है।

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