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छुआ-छूत, ऊँच-नीच का भेद ही भारत के धर्म गुरू बनने में बाधा: विहिप

vhpअयोध्या। लक्ष्य की प्राप्ति ही साधना है। 1925 में जो संकल्प राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लिया था उसकी पूर्ति में आज विभिन्न अनुसांगिक संगठन लगे हुए हैं। हिन्दू समाज को समरस और उसके अन्दर राष्ट्र भाव का जागरण पैदा कर संगठित भारत के नवनिर्माण ही हिन्दू संगठनों का लक्ष्य है।यह उद्गार विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय सह मंत्री और संस्कार शिक्षा एकल अभियान के केन्द्रीय योजना प्रमुख सपन चक्रवर्ती ने कारसेवकपुरम् में 8 अगस्त से चल रहे सत्संग साधक प्रमुख वर्ग का समापन करते हुए शनिवार को व्यक्त किया।उन्होंने कहा कि इस देश में छुआ-छूत, ऊँच-नीच का भेद ही भारत के धर्म गुरू बनने में बाधा है। इस बाधा को दूर करने के लिए ही 1925 में हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसे पौधे का रोपण किया जो आज वह उसकी शाखायें विश्व हिन्दू परिषद, मजदूर संघ, किसान संघ, विद्यार्थी परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, विद्या भारती, भारतीय जनता पार्टी जैसे तीन दर्जन अनुसांगिक संगठन विभिन्न माध्यमों से भारत माता को उच्च शिखर पर आसीन करने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा अहंकार पतन की ओर ले जाने का मार्ग है। हमें अहंकार मुक्त होकर ऊँच-नीच, छुआ-छूत, यश-अपयश से दूर रहकर समाज को संस्कारवान बनाने के लिए हर संभव तत्पर रहना होगा। उन्होंनें कहा इस धरती पर नर बनकर आते हैं और हमें ऐसा कार्य करना चाहिए कि हम नारायण बन जायें।उन्होंने कहा जगद्गुरू शंकराचार्य, रामानन्दाचार्य, रामानुचार्य, निम्बार्कचार्य, मध्वाचार्य जैसे आचार्य और सूर, तुलसी, मीरा, रसखान, कबीर, रविदास जैसे भक्त और स्वतंत्रता संग्राम के आन्दोलन में अपने को समर्पित करने वाले शहीद जिनके जीवन चरित्र को आज भी हम स्मरण कर उनके प्रति श्रद्धावान हैं। उन्होंने कहा गांव-गांव में सत्संग और संस्कार केन्द्रों की स्थापना समाज को नयी दिशा देगी।इस अवसर पर एकल अभियान के सह योजना प्रमुख उमा शंकर मिश्र ने बताया कि 30 गांवों का एक संच और उसका संत्सग साधक प्रमुख नियुक्त होगा। जो गांव-गांव में इस योजना को बल प्रदान करेगा।इस दौरान राजकुमार, राम प्रकाश, रामासरे, पुनीता, मुकेश, मनीषा, राम बरन, लाल बहादुर, चेतन शास्त्री, महेन्द्र, गया प्रसाद, मुकेश सहित हरी कथा सत्संग समिति के कार्यालय प्रमुख निर्मल कुमार आदि उपस्थित रहे।

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