नई दिल्ली। तेलंगाना सरकार ने सोशल वेल्फेयर रेजीडेंशियल वुमेन डिग्री कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए अजीब दलील देते हुए कहा कि सिर्फ अविवाहित महिला कैंडिडेट ही कॉलेजों में एडमिशन ले सकती हैं। सरकार का मानना है कि शादीशुदा महिला कॉलेजों में भटकाव पैदा करती हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह अजीबो-गरीब नियम पिछले एक साल से लागू है। 23 आवासीय कॉलेजों के करीब चार हजार सीटों पर एडमिशन इस नियम से होता है, इन कॉलेजों में महिला स्टूडेंट को सभी चीजें मुफ्त दी जाती हैं।
आवासीय कॉलेजों में 4000 महिलाएं पढ़ रही हैं, जो आगामी अकादमिक साल में दूसरे साल में जाएंगी। तेलंगाना सोशल वेल्फेयर रेजीडेंशियल एजुकेशनल इंस्टिच्यूट्स सोसाइटी (टीएसडब्ल्यूआरआईईएस) द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अकादमिक वर्ष 2017-18 में बीए/बीकॉम/बीएससी-फर्स्ट ईयर के लिए महिलाएं (गैरशादीशुदा) आवेदन कर सकती हैं। तेलंगाना सोशल वेल्फेयर रेजीडेंशियल एजुकेशनल इंस्टिच्यूट्स सोसायटी ने यह आदेश दिया है।
सरकार के इस नोटिफिकेशन का विरोध भी शुरू हो गया है। वहीं इस मामले में सोसायटी के कंटेंट मैनेजर बी वेंकट राजू ने मीडिया को बताया है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि शादीशुदा महिलाओं को एडमिशन देने पर उनके पति भी कॉलेज विजिट करते हैं, इससे बाकी महिलाओं का ध्यान भटक सकता है। जबकि सोसाइटी के सेक्रेटरी आरएस प्रवीन ने कहा कि आवासीय कॉलेजों का मकसद ये था कि बाल विवाह रुक सके इसलिए हम शादीशुदा लड़कियों को प्रोत्साहित नहीं करते।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई शादीशुदा महिला एडमिशन के लिए संपर्क करती हैं तो उन्हें मना नहीं किया जाएगा, लेकिन यह बात नोटिफिकेशन से मैच नहीं करती। हालांकि एक्टिविस्ट इस मुद्दे को लेकर विरोध का सुर अलाप रहे हैं। वीमेन प्रोग्रेसिव ऑर्गेनाइजेशन की वी संध्या का कहना है कि राज्य की कोई संस्था ऐसे कैसे शादीशुदा महिलाओं को शिक्षा से रोक सकता है।
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