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नहीं रहे बाल साहित्यकार बाबू लाल शर्मा

babulalलखनऊ। राजधानी के चर्चित बाल साहित्यकार बाबूलाल शर्मा का गुरूवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह बीते एक अगस्त को आलमबाग सिथत अपने निवास स्थान की छत से गिर गए थे तभी से वह अस्पताल में भर्ती थे। वह 85 वर्ष के थे।

बाबू लाल शर्मा प्रेम को हाल ही में घोषित हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रतिष्ठित बाल भारती साहित्य सम्मान के लिए नामित किया गया था। 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस पर उन्हें सम्मानित किया जाना था। बाल साहित्यकार बंधु कुशावर्ती ने स्व. बाबू लाल शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे लम्बे समय से बाल साहित्य पर लिखते रहे।, कविता, पद्य कथाएं, बच्चों के लिए कहानियां के जरीये वह बच्चों में काफी लोकप्रिय थे। वह राजधानी के वरिष्ठ बाल साहित्यकारों में से एक थे। उनका स्वाभाव बहुत ही सहज था, वे ज्यादा कहीं आते जाते नहीं थे। वे बिना फायदे के लेखन करते थे। कुशावर्ती ने बताया कि स्व. बाबू लाल शर्मा रेलवे में नौकरी करते थे तभी से उनका लेखन जारी रहा। बाल कहानियों को जरीये उन्होंने एक मुकाम हासिल किया था। कुशावर्ती ने कहा कि बड़े ही दुख की बात है कि हिन्दी संस्थान की ओर से उन्हें बाल भारती साहित्यकार से सम्मानित किया जाना था। यह पहले साहित्यकार है जो पुरस्कार प्राप्त करने से पहले दिवंगत हो गए।

उन्होंने कहा बच्चों के लिए साहित्य लेखन में वह 20 साल की उम्र से ही सक्रिय हो गए थे। उन्होंने करीब 20 हजार रचनाएं लिखीं। जिसको कई प्रमुख पत्र- पत्रिकाओं ने प्रकाशित किया। उनका जन्म हरदोई में हुआ था। जिसके बाद वह लखनऊ आ गए थे। उनकी रचनाएं याद के बादल और आंचल के फूल बेहद सफल रहीं। उनके परिवार में तीन बेटे व तीन बेटियां हैं।

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