इलाहाबाद। इलाहाबाद को फिलहाल आज हटाने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव का हलफनामा आ गया है ऐसे में याची को एक अवसर दिया जाता है कि वह इस हलफनामे का जवाब दायर करे। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई आगामी 10 अगस्त बुधवार को करेगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि दस अगस्त को याची मुख्य सचिव के हलफनामे का जवाब दाखिल नहीं करता तो कोर्ट आईएएस अधिकारी रमारमण के काम करने पर लगायी रोक को वापस लेने पर विचार करेगी। न्यायालय ने सीनियर आईएएस अधिकारी रमारमण के नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी के चेयरमैन के रूप में एक साथ काम करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर उनके काम करने पर एक जुलाई 2016 को रोक लगा रखी है।
अखिल भारतीय मानव समाजोत्थान समिति की जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ कर रही है। प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि सर्विस मामले में जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मुख्य सचिव ने जवाब दाखिल कर दिया है जिसमें वैधानिक स्थिति स्पष्ट कर दी गयी है। एक जुलाई को पारित अंतरिम आदेश बिना सरकार का पक्ष सुने गलत तथ्यों पर आधारित है। जिसे संशोधित किया जाए। राज्य सरकार ने तीनों प्राधिकरणों पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रवीर कुमार को अध्यक्ष नियुक्त किया है जो सीईओ से वरिष्ठ अधिकारी है। रमारमण के खिलाफ व्यक्तिगत कोई आरोप नहीं है। सरकार ने प्राधिकरण के तमाम अधिकारियो का तबादला कर दिया है। विपक्षी रमारमण योग्य अधिकारी हैं जो कैडर पोस्ट सीईओ पद पर तैनात है। कोर्ट ने याची का प्रत्युत्तर आने के बाद याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित करने पर बल दिया था अंतरिम आदेश में संशोधन से इंकार कर दिया। अगली सुनवाई दस अगस्त को होगी।