श्रावण मास की कांवड़ यात्रा चरम पर है। दस दिन में नीलकंठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने वाले कांवड़ियों की संख्या 15 लाख के पार हो चुकी है। बृहस्पतिवार को भी शिवभक्तों की देर शाम तक आमद बनी रही। समूचा क्षेत्र बम भोले, हर-हर महादेव से गुंजाएमान रहा।
कांवड़ यात्रा में आस्था का सैलाब बढ़ता जा रहा है। मणिकूट पर्वत की तलहटी पर बसे नीलकंठ महादेव मंदिर से लेकर नीलकंठ पैैदल मार्ग शिवमय बना हुआ है। नीलकंठ मार्ग पर चारों ओर केसरिया पोशाक पहने शिवभक्त नजर आ रहे हैं।
बृहस्पतिवार सुबह बाहरी प्रांतों से तीर्थनगरी पहुंचे कांवड़ियों ने मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम का रुख किया। यहां गंगा में डुबकी लगाने के बाद गंगाजल लेकर नीलकंठ महादेव मंदिर की ओर बढ़ते रहे। सुबह 10 बजे तक नीलकंठ में 73, 635 शिवभक्त नीलकंठ महादेव के दर्शन कर जलाभिषेक कर चुके थे। देर शाम तक जलाभिषेक का सिलसिला जारी रहा। सांध्यकालीन आरती के बाद मंदिर में करीब ढाई लाख से अधिक शिवभक्त मत्था टेक चुके थे।
कतार में खड़ी कांवड़ियों की भीड़ को काबू करने में पुलिस को जमकर पसीना बहाना पड़ा। उधर, तीर्थनगरी में स्थित प्राचीन शिवालय चंद्रेश्वर, वीरभद्र, सोमेश्वर, बनखंडी महादेव मंदिर में भी शिवभक्तों का तांता लगा रहा है।
जान जोखिम में डाल रहे कांवड़िए
नीलकंठ पैदल मार्ग से नीलकंठ महादेव मंदिर जाने वाले कांवड़िए जोखिम भरी यात्रा कर रहे हैं। कांवड़िए सीधे रास्ते से ना जाकर पहाड़ी के बीच शार्टकट रास्ते से गुजर रहे हैं। बारिश के चलते शार्टकट रास्ते में चिकनी मिट्टी के गीले होने से फिसलने का खतरा है।
दो दिन पहले शार्टकट रास्ते के चक्कर में गहरी खाई में गिरने से एक कांवड़िए की मौत हो चुकी है। प्रशासन ने कांवड़ियों को जोखिम भरे रास्ते से नहीं जाने की हिदायत दी है, लेकिन असर नहीं हो रहा।
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