राम मंदिर मुद्दा फ़िलहाल सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. इस पर रणनीति तय करने के लिए विहिप से जुड़े संतों की उच्चाधिकार समिति की शुक्रवार को एक बैठक होने वाली है जिसमें सबसे बड़े मुद्दे राम मंदिर के लिए सारी रणनीति तैयार कर ली गई है जिस पर अब निर्णय आना बाकी है. मंदिर निर्माण की व्यूह रचना के लिए इसी माह के अंत में संघ की बैठक होने वाली है. आगे बता दें, कि उसके बाद दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 3 और 4 नवंबर को 5000 संतों का धर्मादेश सम्मेलन भी होने वाला है. इसके अलावा, उसी में कार सेवा की तारीख का ऐलान होगा.
इसी समिति से जुड़े एक संत का कहना है कि इस्माइल फारुकी बनाम केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की उम्मीद की जा रही थी. इसी मुद्दे पर हाल ही चीफ जस्टिस बने रंजन गोगोई पहले ही दिन कार्यभार संभालते हुए त्वरित सुनवाई का मापदंड तय किया है लेकिन इसमें अयोध्या मुद्दा नहीं आता. इस मामले पर 29 अक्टूबर जो सुनवाई होने वाली है जिसमें ये साफ़ हो जायेगा कि अदालत किस मामले में फैसला लेती है. वहीं विहिप का कहना है कि वह इस मामले के लिए अधिक इंतज़ार नहीं करेगी.
राम मंदिर अब तक का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. नब्बे के दशक में 1991 और 1996 में राम मंदिर लोकसभा चुनाव का केंद्रीय मुद्दा है जिस पर अभी तक कोई फैसला नहीं है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के जल्द निर्माण के लिए वकालत पहले ही कर दी है. बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, संगठन महासचिव राम लाल, महासचिव राम माधव और संघ के तीन सौ से अधिक अनुषांगिक संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे.
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