लखनऊ। राजधानी स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में दो करोड़ से ज्यादा के विज्ञापन घोटाले की जांच के लिए वित्त अधिकारी को नामित किया गया है। वह सभी स्तरों पर जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देंगे। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।विवि में साल 2014 और 2015 में विज्ञापन प्रकाशित करने का काम तत्कालीन कुलपति प्रो. आर के खांडल ने एक एजेंसी को दिया था। मामले में उस समय के वित्त अधिकारी और कुलसचिव ने इसका विरोध भी किया था। इसके बाद भी कुलपति ने पत्रावली को अपने स्तर से मंजूरी देते हुए 1.83 लाख रुपये में एजेंसी को काम दे दिया। इसके बाद एजेंसी को विभिन्न मदों में 2 करोड़ से ज्यादा का भुगतान दिया गया। इससे पहले काम करने वाली कंपनी ने महज 60 लाख रुपये में यह काम किया था। वहीं मौजूदा समय में काम कर रही कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में यही काम 25 लाख रुपये में किया है।
दरअसल विज्ञापन के मद में खर्च की जाने वाली रकम राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा के फॉर्म की बिक्री से हुई आय से दी गई है। ऐसे में यह रकम सीधे अभिभावकों की जेब से डकारी गई है। मामले में छात्रसंगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जांच कराकर तत्कालीन कुलपति और अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच करने और रूपये की वसूली किए जाने की मांग की है। कुलपति प्रो. विनय पाठक का कहना है कि जो भी जरूरी और नियम संगत था वह काम किया गया है। बाकी जांच में स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगी।
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