पिछले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बहोरीबाद विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 33 हजार वोट मिले थे और वह भाजपा के उम्मीदवार से 20420 वोटों से हार गई। यह नतीजा बदल सकता था, यदि कांग्रेस ने बसपा से समझौता कर लिया होता। बसपा को 32634 वोट मिले थे। यदि इन्हें कांग्रेस के वोट में जोड़ दिया जाए तो भाजपा उम्मीदवार 12614 वोटों से हार जाता। 
यह अकेली सीट नहीं है जिस पर इस तरह से नतीजा बदल जाता। राज्य की 230 सीटों में से बसपा ने 84 सीटों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वह चार सीटें जीती थी, 12 पर दूसरे स्थान पर थी और 68 सीटों पर तीसरे पर। इनमें से 49 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस और बसपा के वोट मिलकर भाजपा से ज्यादा हो जाते हैं।
यानी यदि पिछले चुनाव में कांग्रेस और बसपा का गठबंधन होता तो कांग्रेस की सीटें 58 से बढ़कर 107 हो जातीं। साथ ही भाजपा को मिली 165 सीटें घट कर 116 रह जातीं। ये नतीजे तो तब आए जब दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। यदि इस बार इन दोनों पार्टियों में तालमेल हो जाता है तो परिणाम की कल्पना की जा सकती है।
यही वजह है कि कांग्रेस इस बार बसपा से तालमेल करने को इतनी उतावली है। इसी तरह तीन-तीन सीटें ऐसी हैं जहां सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वोट कांग्रेस के साथ मिलकर उस सीट पर भाजपा को मिले वोट से ज्यादा थे। यदि ये कांग्रेस और बसपा के साथ मिलकर लड़े होते तो चारों दलों को 2013 में ही 113 सीटें मिलतीं और भाजपा की सीटें घटकर 110 रह जातीं।
पिछले चुनाव में भाजपा को 44.88 फीसदी (1.52 करोड़) वोट मिले। कांग्रेस को 36.38 फीसदी (1.23 करोड़), बसपा को 6.29 फीसदी (21 लाख), सपा को 1.2 फीसदी (4 लाख) और गोंडवाना पार्टी को एक फीसदी यानी तीन लाख वोट मिले थे। यानी चारों दलों को कुल मिलाकर 44.87 (1.51 लाख) वोट मिले थे। भाजपा को मिले कुल वोटों से महज एक लाख कम।
सीट बंटवारे का आधार
यही अंकगणित इस बार चारों दलों में सीटों के बंटवारे का आधार बन रहा है। कांग्रेस का दावा 58 जीती हुई और 147 रनर अप वाली सीटों यानी 205 सीटों पर है। वह 25 सीटें भाजपा के लिए छोड़ना चाहती है हालांकि बसपा केवल सोलह सीटों पर पहले और दूसरे नंबर पर थी। यदि ये दोनों दल सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को तीन-तीन सीटें दें, तो बसपा या कांग्रेस या दोनों को ही अपनी सीटों में से हिस्सा देना होगा।
लेकिन नहीं बन रही सहमति
कांग्रेस केवल बसपा के साथ तालमेल करना चाहती है, गोगपा या सपा के साथ नहीं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने समझौता नहीं होने पर राज्य की 90 सीटों पर लड़ने का एलान भी कर दिया है। सपा 25 सीटों पर लड़ने को तैयार है और बसपा 30 पर। सपा चुनाव समिति के सदस्य डा. सुनीलम का कहना है कि यदि कांग्रेस सीटों के बंटवारे पर जल्द फैसला नहीं करती तो बाकी तीनों दल तीसरे मोर्चे कर रूप में लड़ेंगे।
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