नई दिल्ली ।सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों पर अपना फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फटकार लगाते हुए पूछा कि बीसीसीआई बताए कि लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को वह कबतक लागू करेगी?सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि क्या क्रिकेट के लिए बीसीसीआई प्रशासक नियुक्त किया जाए या फिर बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए जिससे BCCI लिखित अंडरटेकिंग दे कि वह लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को तय वक्त में लागू करेगी।
बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, ‘लोढ़ा कमिटी की अनुशंसा को लागू करने के लिए बहुमत नहीं था। अभी ये मामला न्यायालय में है और हम इसपर कुछ नहीं बोलेंगे। हम सभी राज्यों से इस बारे में पूछेंगे कि वो लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को मानने के लिए तैयार हैं या नहीं। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत है। बिना इसके हम ऐसा नहीं कर सकते हैं।’ अनुराग ने साथ ही कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से इसे लागू करने के लिए और वक्त मागेंगे।
इससे पहले लोढ़ा पैनल की सिफारिशों पर बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर कर दिया था। बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि उन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों का विरोध नहीं किया है। कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया। ठाकुर ने अपने हलफनामे में बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर पर निशाना साधा। ठाकुर ने कहा कि दुबई में छह और सात अगस्त को आईसीसी की, फाइनैंस से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर बैठक थी जिसमें भाग लेने के लिए वह दुबई गए थे।
वहां उन्होंने चेयरमैन शशांक मनोहर के सामने सवाल उठाया था कि जब वह बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उनका कहना था कि जस्टिस लोढ़ा की सिफारिशों जैसे बीसीसीआई में सीएजी की नियुक्ति से बोर्ड के कामकाज में सरकार की दखलअंदाजी बढ़ जाएगी और इसके चलते उन्हें आईसीसी से सस्पेंड भी होना पड़ सकता है।ठाकुर ने कहा था कि शशांक मनोहर जब BCCI अध्यक्ष थे तब यह निर्णय लिया गया था और उस समय सुप्रीम कोर्ट का लोढ़ा पैनल पर कोई फैसला नहीं आया था।
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