सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुंबई की एक महिला को प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते बाद अबॉर्शन की इजाजत दे दी। महिला की मेडिकल रिपोर्ट से पता चला था होने वाले बच्चे का सिर पूरी तरह डेवलप नहीं हो पाया। और उसका जिंदा रहना मुश्किल है। महिला ने कोर्ट से अबॉर्शन की इजाजत मांगी थी। बता दें कि देश में 20 हफ्ते के बाद अबॉर्शन कराना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर 7 साल की सजा हो सकती है।
कोर्ट ने क्या कहा…
– जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने पिटीशन पर सुनवाई की। बच्चे की जान को खतरा देखते हुए उसे अबॉर्शन की इजाजत दी।
– बेंच ने ऑर्डर दिए कि अबॉर्शन की प्रोसेस के लिए केईएम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम इसका पूरा रिकॉर्ड रखे।
– हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड के मुताबिक, बच्चे का सिर डेवलप नहीं हुआ और गर्भ से बाहर उसके जिंदा रहने की कोई उम्मीद नहीं है।
– बता दें कि इसी मेडिकल बोर्ड ने जुलाई, 2016 में रेप विक्टिम का अबॉर्शन किया था। कोर्ट ने तब महिला की मानसिक हालत और जान को खतरा देखा था।
– पिछले तीन साल में मुंबई से चौथा इस तरह का केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
– बता दें कि इसी मेडिकल बोर्ड ने जुलाई, 2016 में रेप विक्टिम का अबॉर्शन किया था। कोर्ट ने तब महिला की मानसिक हालत और जान को खतरा देखा था।
– पिछले तीन साल में मुंबई से चौथा इस तरह का केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
कोर्ट ने बनाया था मेडिकल बोर्ड
– पिटीशन में कहा गया था कि 21 हफ्ते में टेस्ट कराने पर पता चला कि बच्चे का सिर डेवलप नहीं हो पाया है।
– कोर्ट ने केईएम हॉस्पिटल को महिला के टेस्ट करने और रिपोर्ट पेश करने के ऑर्डर दिए थे, जबकि केंद्र से राय मांगी थी।
– अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने रेप विक्टिम के केस में कहा था कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में प्रावधान है। जो मां-बच्चे की जिंदगी को खतरा होने पर 20 हफ्तों के बाद भी गर्भपात की इजाजत देता है।